गोजोला में श्मशान की तलाश, पार्थिव के अंतिम संस्कार के लिए जगह का अभाव

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  • पड़ित भूमि पर वनीकरण

चंद्रपुर: गांव छोटा हो या बड़ा हर जगह मृतक के अंतिम संस्कार के लिए गांव के किसी कोने पर श्मशान की व्यवस्था नजर आती है परंतु गोंडपिपरी तहसील का गोजोली गांव ऐसा है जहां लोगों के पार्थिव के अंतिम संस्कार के लिए जगह तलाशनी पड़ रही है. जगह के अभाव में पार्थिव को लेकर दूर दूर तक भटकना पड़ रहा है. श्मशान के लिए जगह उपलब्ध कराये ऐसी गुहार ग्रामीणों ने लगाई है.

गोजोली गांव की जनसंख्या डेढ हजार के आसपास है. इस गांव में पिछले चार वर्ष पूर्व गांव के बाहर पर्याप्त प्रमाण में पड़ित भूमि उपलब्ध थी. इसी पड़ित भूमि पर स्थानीय नागरिक अंतिम संस्कार करते आ रहे थे परंतु पड़ित भूमि पर वनविभाग ने वनीकरण कर सम्पूर्ण जगह अपने कब्जे में ले ली. ऐसे में अब गांव में मात्र अंतिम संस्कार के लिए बड़ी जगह का प्रश्न निर्माण हो गया है.

गत अनेक वर्षों से ग्रामपंचायत में सर्वे नं.184, अनुसार 032 हे.आर. भूमि गांव में श्मशान की जगह केलिए दर्ज है. इसके अलावा सर्वे नं. 55 में 0.43 हे.आर. और 56 में  036 हे.आर जगह भी दर्ज है. इतनी बड़ी जगह श्मशान भूमि के लिए आरक्षित होते हुए भी लोग पार्थिव के अंतिम संस्कार के लिए भटक रहे है.

उक्त जगह भी ग्रामपंचायत प्रशासन ने कभी उपयोग में लाने का प्रयास नहीं किया. इस नियोजित जगह पर गांव में ही किसान ने कृषि के लिए अतिक्रमण किए जाने की चर्चा है.  इस जगह ग्रामपंचायत में विधिवत पंजीकृत की गई है.इसकेबाद भी मात्र जानबूछकर उदासीनता बरती जारही है. 

वनप्रबंधन समिति के अध्यक्ष शेखर बोनगिरवार का कहना है कि पिछले अनेक वर्षों से श्मशान भूमि के लिए आरक्षित जगह किसानों ने अतिक्रमण खेती कररहे है इसके चलते अंतिम संस्कार के लिए जगह का प्रश्न निर्माण हो गया है. उक्त जगह श्मशान भूमि के लिए उपलब्ध की जानी चाहिए.

मागील अनेक वर्षांपासून स्मशानभूमीसाठी राखीव असलेली जागा शेतकऱ्यांनी अतिक्रमण करून वहिवाट करीत आहे. त्यामुळे अंत्यसंस्कार करण्यासाठी जागेचा प्रश्न निर्माण झाला आहे. सदरील जागा स्मशानभूमी करीता  उपलब्ध करावी.