नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार की सुबह से कई हिस्सों भारी तो कही मध्यम बारिश हो रही है। दो दिनों से सुबह हो रही बारिश से लोगों को उमस भरे मौसम से राहत मिली है। लेकिन बारिश के कारण कुछ इलाकों में जलभराव भी हुआ। शहर के दक्षिण-पश्चिम में द्वारका में एक अंडरपास बारिश के कारण जलमग्न हो गया है।भारत के मौसम विभाग (IMD) ने आज राष्ट्रीय राजधानी में ‘भारी बारिश के साथ आसमान में बादल छाए रहने’ की संभावना बताई है।
भारत के मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, पालम वेधशाला ने सुबह 5:30 बजे तक 86 मिमी बारिश दर्ज की और सफदरजंग मौसम केंद्र ने 42.4 मिमी वर्षा दर्ज की।आईएमडी के मुताबिक, 15 मिमी से नीचे दर्ज की गई वर्षा को हल्का माना जाता है, 15 से 64.5 मिमी के बीच मध्यम और 64.5 मिमी से अधिक भारी है। कल शाम को भी शहर के अधिकांश हिस्सों में बारिश देखी गई। ट्विटर पर कई लोगों ने जन्माष्टमी के मौके पर बारिश होने पर खुशी जताई।
#WATCH Delhi: Severe waterlogging at Manekshaw road due to rainfall in the national capital.
India Meteorological Department (IMD) has predicted "thunderstorm with light to moderate intensity rain" in the national capital till 10 am. pic.twitter.com/jSAUKVrLjw
— ANI (@ANI) August 13, 2020
भारत के मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में अगस्त में अब तक सामान्य से 72 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। सफदरजंग वेधशाला, जो शहर के लिए आधिकारिक आंकड़े प्रदान करती है, ने 109.6 मिमी के सामान्य के मुकाबले इस महीने अभी तक 31.1 मिमी वर्षा दर्ज की है। पालम मौसम केंद्र ने 55.6 मिमी वर्षा दर्ज की है, जो सामान्य 114.3 मिमी से 51 प्रतिशत कम है। लोधी रोड वेधशाला ने 109.6 मिमी के सामान्य के मुकाबले सिर्फ 25.6 मिमी बारिश का अनुमान लगाया है जो 77 प्रतिशत की कमी।
राष्ट्रीय राजधानी में पिछले साल अगस्त के पहले 12 दिनों में 37.1 मिमी बारिश दर्ज की गई। 2018 में इसी अवधि के दौरान शहर में 56 मिमी, 2017 में 64 मिमी और 2016 में 41 मिमी दर्ज की गई थी। वही 2015 में इसी अवधि के दौरान 110.6 मिमी और 2014 में 120.5 मिमी बारिश दर्ज की गई। इस साल जुलाई में, दिल्ली में 236.9 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जो 210.6 मिमी के सामान्य से 12 प्रतिशत अधिक थी।
निजी पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसी स्काईमेट वेदर के एक विशेषज्ञ महेश पलावत ने कहा कि शहर में अच्छी बारिश नहीं हुई क्योंकि मॉनसून की धुरी में उतार-चढ़ाव बना रहा और दिल्ली-एनसीआर में अधिक समय तक नहीं रहा। उन्होंने कहा, “एक के बाद एक कई मौसम प्रणालियां मध्य भारत में विकसित हुई, जिसने उत्तर राजस्थान और मध्य प्रदेश की ओर मॉनसून का गर्त खींचा।” पलावत ने कहा, अधिकतर, मानसून का गर्त दिल्ली के दक्षिण में बना रहा।