शिवसेना और कांग्रेस अब खुलकर आमने-सामने

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    महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल होने के बावजूद शिवसेना और कांग्रेस खुलकर आमने-सामने आ गई हैं. शिवसेना किसी भी कीमत पर महाराष्ट्र में कांग्रेस को मजबूत होते देखना नहीं चाहती. उद्धव ठाकरे की सरकार एनसीपी अध्यक्ष व अनुभवी नेता शरद पवार के मार्गदर्शन में चल रही है. शिवसेना और एनसीपी दोनों ही अपना पव्वा रखते हुए राज्य में कांग्रेस को दबाकर रखना चाहती हैं. पिछले दिनों शिवसेना ने शरद पवार के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों का सशक्त गठबंधन बनाने का सुझाव दिया था. कांग्रेस ने इस पर एतराज जताया था कि जब शिवसेना यूपीए में नहीं है तो यूपीए के नेतृत्व को लेकर टिप्पणी करने का उसे कोई अधिकार नहीं है.

    महाराष्ट्र प्रदेश कंग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को एक बार और चिढ़ाते हुए संजय राऊत ने कहा कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी उनकी राय को संज्ञान में लेती हैं. सोनिया ने शिवसेना के मुखपत्र में प्रकाशित लेख पर ध्यान दिया था जिसमें पूछा गया था कि क्यों कांग्रेस पार्टी असम और केरल में मौजूदा सरकारों को हरा नहीं सकी? राऊत ने मुखपत्र में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की जमकर तारीफ की और कहा कि भविष्य में कांग्रेस को मजबूत विपक्षी पार्टी के तौर पर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी बीजेपी के खिलाफ अकेले लड़ाई लड़ रहे हैं. राहुल ने कई मुद्दों पर केंद्र की आलोचना की और सुझाव भी दिए.

    सरकार को उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर फैसला लेना पड़ा. राहुल कांग्रेस के सेनापति हैं और सरकार पर उनके हमले सटीक और मुद्दों पर आधारित होते हैं. पटोले ने कहा कि वह शिवसेना का मुखपत्र नहीं पढ़ते हैं और न ही उसे घर पर मंगाते हैं. इस पर करारा जवाब देते हुए संजय राऊत ने कहा कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता भले ही कहें कि वे शिवसेना का मुखपत्र नहीं पढ़ते लेकिन कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने उनके लेख पर ध्यान दिया था. इस पर नाना पटोले ने कहा कि मुखपत्र में क्या लिखा है, यह देखकर ही उन्हें जवाब दिया जाएगा. शिवसेना को जवाब कैसे देना है, यह हम आगे देखेंगे. कांग्रेस कहीं भी कमजोर नहीं पड़ेगी.