कोलकाता. बिहार के दरभंगा के रहने वाले संतोष कुमार यादव, 24 घंटे और 700 किलोमीटर की यात्रा तय करने के बाद NEET 2020 का एग्जाम देने कोलकाता पहुंचे. कोलकाता पहुंचे के लिए उन्हें दो बसें बदलनी पड़ी. दुर्भाग्य से सेंटर पहुंचने में वह 10 मिनट लेट हो गए जिसके बाद उन्हें परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी गई।यादव ने बताया “मैंने अधिकारियों से विनती की लेकिन उन्होंने कहा कि मुझे देर हो गई। परीक्षा दोपहर 2 बजे शुरू हुई। मैं दोपहर करीब 1.40 बजे सेंटर पर पहुंचा। सेंटर में प्रवेश करने की अंतिम समय सीमा दोपहर 1.30 बजे थी। मैंने एक साल खो दिया।”
NEET परीक्षार्थियों को कोविड -19 संकट के बीच सुरक्षा और स्वास्थ्य जांच के लिए दिए गए समय को देखते हुए कम से कम तीन घंटे पहले रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। अपने बुरे अनुभव को बताते हुए छात्र ने कहा, “मैं शनिवार सुबह 8 बजे दरभंगा की बस में सवार होकर मुज़फ़्फ़रपुर पहुँच गया। वहाँ से मैंने पटना के लिए बस ली, लेकिन मार्ग पर ट्राफिक जाम था और मुझे लगभग छह घंटे की देरी हो गई। मैंने रात 9 बजे पटना से दूसरी बस ली। बस ने मुझे 1.06 बजे सियालदह स्टेशन (कोलकाता में) के पास छोड़ा। एक टैक्सी ने मुझे परीक्षा केंद्र तक पहुंचाया।”
स्कूल अधिकारियों से संपर्क नहीं किया जा सका लेकिन NEET परीक्षार्थियों को होने वाली असुविधा राजनीतिक बहस का विषय बन गई क्योंकि कई लोगों को किराए की कारों में राज्य के एक हिस्से से दूसरे हिस्से की यात्रा करने के लिए बड़ी राशि का भुगतान करना पड़ा। राज्य सरकार ने इस बात से इनकार नहीं किया कि रविवार को परीक्षार्थियों को एक कठिन कार्य का सामना करना पड़ा।
राज्य के शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा “हम जानते थे कि छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। मेट्रो रेलवे उन्हें कोलकाता के भीतर ले जा सकती है लेकिन अन्य जिलों के लोगों का क्या? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने छात्रों की यात्रा में मदद करने के लिए शनिवार को राज्यव्यापी तालाबंदी को रद्द कर दिया। महामारी की स्थिति के कारण उन्हें अभी भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।”
वहीं Covid-19 महामारी के मद्देनजर कड़े ऐहतियात के बीच मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET का आयोजन किया गया था। ये परीक्षा 2 बजे से शुरू हुई और शाम 5 बजे तक चली। जिसमें लगभग 16 लाख छात्रों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) ने सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिये एग्जाम सेंटर्स की संख्या को मूल योजना के तहत 2546 केंद्रों से बढ़ाकर 3843 केंद्र कर दिया था। लेकिन इतनी व्यवस्था के बाद भी बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं और मुश्किलें उठाकर भी एग्जाम नहीं दे पा रहे हैं। जिससे उनका पूरा साल और कई दिनों की मेहनत बर्बाद हो रही हैं। कोरोना की वजह से भविष्य में होने वाली परीक्षाओं में ऐसी दिक्कतें होना संभव हैं। सरकार को इन बातों का भी ध्यान रखते हुए गाइडलाइन्स तैयार करनी होगी वरना न जाने कितने ही बच्चों का भविष्य मझधार में रह जाएगा।