Bappi Lahiri
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    मुंबई : दिल से जवां दिखने वाले और बॉलीवुड (Bollywood) को लोकप्रिय (Popular) गीत-संगीत देने वाले बप्पी लाहिरी (Bappi Lahiri) ने हिंदी (Hindi) फिल्मों (Movies) में डिस्को (Disco) गीतों (Songs) का दौर शुरू किया था। अपने गले से लटकती सोने की चेन और काले शीशे वाले चश्मे को लेकर भी बॉलीवुड की भीड़ में उनकी एक अलग पहचान थी। गायक और संगीतकार बप्पी लाहिरी का मंगलवार रात मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 69 वर्ष के थे। बॉलीवुड के गीतों में 1980 और 1990 के दशक में उनकी धुन का जलवा देखने को मिला था।

    उन्होंने ‘आई एम ए डिस्को डांसर’, ‘कोई यहां नाचे-नाचे’ और ‘जिम्मी-जिम्मी’ जैसे हिट गीतों के संगीत दिए थे। उन्होंने ‘यार बिना चैन कहां रहे’, ‘कलियों का चमन’, दे-दे प्यार दे’, ‘जवानी जानेमन’ और ‘तम्मा-तम्मा’ जैसे गीतों के भी संगीत दिये थे। संगीत के क्षेत्र में उनका पांच दशक लंबा करियर रहा। वह उन कुछ संगीतकारों में थे, जिनके गीतों की बॉलीवुड में सबसे ज्यादा ‘रीमिक्स’ बनाई गई। इसका एक उदाहरण अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर-पार्ट 1’ है। यदि मिथुन चक्रवर्ती 1980 के दशक में छाए हुए थे, तो पहले पर्दे पर उनके थिरकते कदमों के पीछे बप्पी लाहिरी का संगीत था।

     
     
     
     
     
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    दोनों ने ‘डिस्को डांसर’, ‘प्रेम प्रतिज्ञा’, ‘वारदात’, ‘सुरक्षा’, ‘गुरु’, ‘कसम पैदा करने वाले की’, ‘कमांडो’ में साथ काम किया था। बॉलीवुड में ‘डिस्को’ का दौर शुरू करने वाले बप्पी लाहिरी राजनीति में भी उतरे। वह 2014 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी चित्रानी और दो संतान हैं। उनकी बेटी रीमा गायिका हैं। जबकि बेटा बप्पा संगीतकार हैं। लाहिड़ी पश्चिम बंगाल में श्रीरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर चुनावी राजनीति में उतरे थे, लेकिन वह तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी से हार गए थे। बप्पी लाहिरी का जन्म बंगाल के जलपाईगुड़ी में संगीतकारों के एक परिवार में हुआ था।

     
     
     
     
     
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    संगीत के प्रति बचपन से ही उनका लगाव दिखने लगा था। उन्होंने महज तीन साल की उम्र से ही संगीत सीखना शुरू कर दिया था। उनके पिता परेश और मां बनसारी लाहिड़ी संगीतकार और गायक-गायिका थे। उनके लिए ‘पग घुंघरू बांध’ और ‘चलते-चलते’ जैसे गीत गाने वाले किशोर कुमार उनके मामा थे। ‘डिस्को किंग’ बप्पी लाहिरी ने 2000 के बाद भी बॉलीवुड में अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने 2011 में मिलन लुथरिया की ‘द डर्टी पिक्चर’ में संगीत दिया। लुथारिया ने कहा कि उनका व्यक्तित्व भी किसी पॉप सम्राट जैसा था। उन्होंने कहा, ‘वह एकमात्र ऐसे संगीतकार थे।

     
     
     
     
     
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    जिन्होंने 70 और 80 के दशक के तीन प्रमुख संगीतकारों को टक्कर दी, जिनमें लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल (की जोड़ी), आर डी बर्मन और कल्याणजी-आनंदजी (की जोड़ी) शामिल थी। 1990 के दशक में अन्नू मलिक थे, लेकिन बप्पी दा ने अपनी जगह बनाए रखी।’ लाहिड़ी ने बंगाली, तेलुगू, तमिल, कन्नड़ और गुजराती फिल्मों में भी संगीत दिया था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ‘दादू’ फिल्म से 1972 में की थी। बतौर संगीतकार उनकी पहली फिल्म ‘नन्हा शिकारी’ (1973) थी। (एजेंसी)