लता को भाई के दोस्त से हुआ प्यार, लेकिन फिर आजीवन शादी नहीं करने का लिया निर्णय

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    मुंबई: स्वर कोलिका लता मंगेशकर की रविवार सुबह 92 साल की उम्र में मुंबई के ब्रिज कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले 28 दिनों से अस्पताल में भर्ती थी। लता मंगेशकर के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। लता का शुरूआती जीवन बेहद संघर्ष में बिता, बचपन में पिता की मौत से लेकर भाई-बहन और परिवार की जिम्मेदारियां उठाने में उन्होंने अपना पूरा जीवन बिता दिया। इस पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच एक समय ऐसा भी आया जब लता के मन में शादी करने का विचार आया, लेकिन यहां भी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। 

    दिवंगत क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष राज सिंह डूंगरपुर, लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर के करीबी दोस्त थे। राज सिंह राजस्थान के शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे और डूंगरपुर के तत्कालीन राजा स्वर्गीय महारावल लक्ष्मण सिंहजी के सबसे छोटे बेटे थे।

    ऐसे हुई राज और लता की दोस्ती

    हृदयनाथ मंगेशकर और राज सिंह डूंगरपुर अच्छे दोस्त थे। उनकी ज्यादातर मुलाकातें हृदयनाथ के घर पर होती थीं, और यही वह समय था जब राज सिंह ने अपने अच्छे दोस्त की सबसे बड़ी बहन लता से बातचीत शुरू की। राज सिंह और लता के बीच कई मुलाकातों के बाद, दोनों एक-दूसरे के लिए कुछ महसूस करने लगे थे और समय के साथ, उन्हें एक-दूसरे से प्यार हो गया था। राज सिंह लता को ‘मिट्ठू’ नाम से बुलाते थे।

    शादी की प्लानिंग

    लता और राज डूंगरपुर दोनों शादी करने की प्लानिंग बना रहे थे। लेकिन जब राज सिंह ने अपने पैरेंट्स को इस बारे में बताया तो उनके पिता महारावल लक्ष्मण सिंहजी ने शादी होने से मना कर दिया। इसके पीछे का कारण यह था कि लता एक शाही परिवार से नहीं थीं, इसलिए महारावल लक्ष्मण अपने बेटे राज सिंह की शादी एक आम लड़की से नहीं करने दे सकते थे।

    आजीवन शादी नहीं करने का फैसला 

    महारावल लक्ष्मण सिंह के फैसले ने राज सिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर के सपनों को एक पल में तोड़ दिया था। राज सिंह ने अपने पिता के सम्मान में उनके फैसले को मान लिया लेकिन उन्होंने आजीवन शादी नहीं करने का फैसला किया। लता ने राज सिंह के फैसले की तरह आजीवन शादी नहीं करने का फैसला किया. हालांकि दोनों जीवन भर दोस्त बने रहे।