‘गुडलक जैरी’ के ऑडिशन ने ‘सिया’ में दिलाया लीड रोल: पूजा पांडे

अभिनेत्री पूजा पांडे ने बताया कि सिया के किरदार बेहद झकझोर कर रख दिया. आज भी उस किरदार का उन पर प्रभाव है और वो इससे उभर रही हैं.

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    मुंबई: फिल्म निर्देशक मनीष मूंदड़ा मसान, न्यूटन और कड़वी हवा समेत ऐसी कई फिल्में बना चुके हैं जो समाज की हकीकत को जमीनी सच्चाई के साथ दर्शाती है. समाज में अब बढ़ते बलात्कार के मामलों को मद्देनजर रखते हुए उन्होंने ‘सिया’ नाम की ऐसी एक फिल्म बनाई है जो दर्शकों को बलात्कार पीड़िताओं के जीवन में आने वाली असंख्य कठिनाइयों से रूबरू कराती है. फिल्म में लीड रोल निभा रही अभिनेत्री पूजा पांडे ने नवभारत संग हुई विशेष बातचीत में फिल्म की कई अहम बाते बताई हैं. 

    ·         इस फिल्म के लिए आपकी कास्टिंग किस प्रकार से हुई?

    मैं ‘बारात’ नाम से एक सीरीज करने वाली थी लेकिन किसी कारण मैं वो नहीं कर पाई. इसी बीच मुझे मुकेश छाबड़ा कास्टिंग एजेंसी से कॉल आया और मुझसे कहा गया कि ये प्रोजेक्ट आपके करियर का टर्निंग पॉइंट हो सकता है. ये बात मेरे जहां में बस गई और मैंने इसे करने का फैसला लिया और रोल के लिए ऑडिशन दिया. टीम को मेरा प्रोफाइल पसंद आया और मैं इस सफर से जुड़ गई.

    • बतौर एक्टर संघर्ष के दिनों में खुद को संभालना और प्रोत्साहित करके रखना कितना मुश्किल होता है?

    ये सभी के लिए वाकई बेहद मुश्किल दौर होता है. एक एक्टर कई दफा ऑडिशन देते-देते थक जाता है और फिर भी उसे उचित काम नहीं मिलता. आपको बता दूं कि मैंने ‘गुडलक जैरी’ में जाह्नवी कपूर की बहन के रोल के लिए ऑडिशन दिया था. वहां मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ लेकिन खुशनसीबी से उसके कारण मुझे ‘सिया’ में लीड रोल मिला. मुकेश छाबड़ा सर ने मेरे ऑडिशन को मनीष मूंदड़ा सर को भेजा और वहां से मेरा चुनाव हुआ.

    • इस फिल्म की क्या विशेषताएं हैं जिसने आपको आकर्षित किया?

    मैंने कंगना रनौत की ‘क्वीन’ देखी थी और हमेशा से मेरे मन में यही था कि मैं ऐसी कोई महिला केंद्रित फिल्म के साथ डेब्यू करूं. हमारे सिनेमा में बेहद कम ही फीमेल ओरिएंटेड फिल्में बनती है. मुझे लगा था कि ये रोमांटिक फिल्म होगी लेकिन इसकी कहानी पढ़ने के बाद समझ आया कि ये एक गंभीर विषय पर बनने जा रही ऐसी फिल्म हैं जिसमें फीमेल करैक्टर का अहम रोल है.

    • बलात्कार पीड़िता का किरदार निभाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती रही होगी, इसने आपको कितना प्रभावित किया?
       
       
       
       
       
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    ये किरदार मानसिक रूप से बेहद झकझोर देने वाला था. फिल्म के सेट पर एक भी दिन नहीं रहा होगा जब मैं हंसी हूं. पूरी फिल्म शूट करने के बाद भी मैं करीब 3 महीने तक इस किरदार से बाहर नहीं आ पाई थी. अभी भी शायद उसका प्रभाव मेरे भीतर है और इसके सीन्स याद करके आज भी आंखों में आंसू आ जाते हैं.

    • विनीत सिंह संग काम करने का अनुभव कैसा रहा? उनसे आपने क्या सीखा?
       
       
       
       
       
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    विनीत जी के साथ काम करने समय पता भी नहीं चला कि वें इतने बड़े एक्टर हैं. वो बेहद शांत स्वभाव के हैं और जमीन से जुड़े हैं. पूरी फिल्म में उन्होंने मुझे छोटी बहन के समान ट्रीट किया. वो मुझे सिखाते थे कि ये तेरी पहली फिल्म है, इसलिए इस पर तू भरपूर मेहनत कर. मैं उनके अनुभव को जानती थी ताकि उनसे सीख सकूं.

    • एक्टिंग जगत में आपकी बड़ी बहन शालिनी आपको कितना गाइड करती हैं?

    शालिनी मेरी इस फिल्म को लेकर काफी खुश थी. मेरे पिता नहीं चाहते थे कि हम एक्टिंग करें क्योंकि परिवार के मन में भी ‘समाज क्या कहेगा’, ये भय था. हमने थिएटर करना शुरू किया और एक्टिंग की बारीकियों को सीखा. शालिनी मुझे अपने फैसले खुद लेना सिखाती हैं ताकि मैं और भी सशक्त बन सकूं.