आजादी की लड़ाई में शामिल हुईं थी दीना पाठक, 60 साल तक सिनेमा की दुनिया पर किया राज

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मुंबई: 4 मार्च 1922 को जन्मी दिग्गज बॉलीवुड अभिनेत्री दीना पाठक की गिनती हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्रियों में की जाती है। दीना की दोनों बेटियां रत्ना पाठक शाह और सुप्रिया पाठक एक्टिंग की दुनिया में बड़ा नाम हैं। दीना पाठक ने अपने करीब छह दशक के फिल्मी करियर में 120 फिल्मों में काम किया, जिनमें गोलमाल, उमराव जान, तमस, सत्यकाम और मोहन जोशी हाजिर हो जैसी फिल्में शामिल हैं। दीना के जन्मदिन के खास मौके पर जानिए उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से।

अलग बनाई पहचानदीना पाठक ने अपने करियर में दादी, नानी और सास का किरदार निभाकर कई बड़े-बड़े लोगों को पीछे छोड़ दिया। दीना उस समय थिएटर की दुनिया से जुड़ीं जब महिलाओं का इस क्षेत्र में काम करना उचित नहीं माना जाता था। दीना पाठक ने गुजराती थिएटर को अपनी अलग पहचान दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

आजादी की लड़ाई का बनी हिस्साअभिनेत्री दीना पाठक ने भी आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था। उन दिनों वह इसमें इतनी सक्रिय थीं कि उन्हें मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से निकाल दिया गया था। दीना ने एक इंटरव्यू में इस घटना का जिक्र करते हुए बताया था कि कॉलेज से निकाले जाने के बाद उन्होंने मुंबई के दूसरे कॉलेज में एडमिशन लिया और बीए पास किया। उनकी शादी बलदेव पाठक से हुई थी जो गेटवे ऑफ इंडिया के पास एक सिलाई की दुकान चलाते थे। दीना के पति राजेश खन्ना और दिलीप कुमार के कपड़े भी डिजाइन करते थे। इस शादी से दीना पाठक को दो बेटियां रत्ना और सुप्रिया हुईं। बलदेव पाठक की 52 साल की उम्र में मृत्यु हो गई, जिसके बाद दीना ने अकेले ही दोनों बेटियों की जिम्मेदारी उठाई। रत्ना की शादी नसीरुद्दीन शाह से और सुप्रिया की शादी पंकज कपूर से हुई है।

अपने 60 साल के फिल्मी करियर में करीब 120 फिल्मों में काम करने वाली दीना पाठक ने अपनी एक्टिंग के जादू से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आज भले ही वह दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्मों और उनके संघर्ष की कहानी के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। दीना ने बहुत कम उम्र में ही नाटकों में काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने लंबे समय तक महिला कार्यकर्ता के रूप में भी काम किया और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की अध्यक्ष रहीं। दीना ने बॉलीवुड के अलावा गुजराती फिल्मों में भी काम किया। दीना पाठक ने 11 अक्टूबर 2002 को 80 साल की उम्र में मुंबई में अंतिम सांस ली।