टीवी से लेकर फिल्मों तक अपनी छाप छोड़ रही एक्ट्रेस डॉली तोमर की फिल्म 'प्यारी तारावली' इस हफ्ते सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. इसे देखने से पहले ये रिव्यू जरूर पढ़ें.
फिल्म: प्यारी तरावली द ट्रू स्टोरी
कास्ट: डॉली तोमर, रजनीश दुबे, बॉबी वत्स, उदय अतरौलिया व सत्या अग्निहोत्री
निर्देशक: रजनीश दुबे
जॉनर: कॉमेडी ड्रामा रोमांस
रेटिंग: 4 स्टार्स
कहानी: डॉली तोमर और रजनीश दुबे के अहम किरदारों से सजी यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है, जिसे बड़ी ही सच्चाई और ईमानदारी से पर्दे पर प्रस्तुत किया गया है। प्यारी (डॉली तोमर) की शादी दो बार टूट चुकी है, मगर अब तीसरी बार उसकी शादी गांव के एक साधारण लड़के लक्ष्मण (रजनीश दुबे) से होने जा रही है। किसी तरह विवाह हो भी जाता है मगर एक बार फिर प्यारी लापता हो जाती है। अब इंटरवल के बाद आगे की कहानी उसकी खोज में बढ़ती है। क्यों और कहां गई प्यारी? वह बार बार क्यों शादी करके ससुराल से भाग जाती थी? इन सभी राज़ का पर्दाफाश तब होगा जब आप फिल्म को क्लाइमेक्स तक देखेंगे। फिल्म का अंतिम शॉट आप को चौंका देगा।
अभिनय: डॉली तोमर ने प्यारी के कई शेड्स लिए हुए किरदार को उम्दा ढंग से जिया है। वह वास्तव में पुरुस्कार की हकदार हैं और उन्हें कई फिल्म महोत्सव में इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिला भी है। रजनीश दुबे ने न सिर्फ डायरेक्शन में अपना कमाल दिखाया है बल्कि अभिनय में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी है। लक्ष्मण के किरदार को उन्होंने एकदम रियल बना दिया है। कहीं कहीं उनमें राजकुमार राव की झलक नज़र आती है, कुछ वैसा ही लुक, कुछ वैसा ही नेचुरल अभिनय। बॉबी वत्स ने अपने किरदार को जीवंत बना दिया है।
फाइनल टेक: एक औरत के दर्द, उसकी इच्छाओं, उसके सपनों को इस फिल्म में बहुत ही सहज ढंग से दिखाया गया है। प्यारी जब यह कहती है कि ‘औरतों की दुनिया अब भी वही चार दीवारी के अंदर कैद है।’ तो जैसे वह पूरी महिला जाति का प्रतिनिधित्व करती नजर आती है। फिल्म शुरुआती सीन से लेकर क्लाइमेक्स तक दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब है, यह लेखक निर्देशक रजनीश दुबे की बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने दृश्यों को इतना रियल रखा है कि कहीं भी बनावटीपन का एहसास नहीं होता। फिल्म प्यारी को अच्छी कहानी, कसे हुए स्क्रीनप्ले, चुटीले संवादों, बेहतरीन गीत संगीत, अद्वितीय निर्देशन और कुछ अद्भुत अभिनय की वजह से अवश्य देखना चाहिए। ऐसे सिनेमा को एक्सप्लोर करने, प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है ताकि सच्चा और ईमानदार सिनेमा दर्शकों के लिए बनता रहे।