‘ओपनहाइमर’ में सेक्स सीन में संस्कृत का श्लोक बोले जाने पर सोशल मीडिया पर विवाद

Loading

नई दिल्ली: अमेरिकी भौतिकीविद जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर (J Robert Oppenheimer) के जीवन पर बनी हॉलीवुड की फिल्म ‘ओपनहाइमर’ में मुख्य भूमिका निभा रहे कलाकार द्वारा एक सेक्स सीन के दौरान संस्कृत का धार्मिक श्लोक पढ़े जाने को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले कुछ लोगों का दावा है कि दृश्य के दौरान संस्कृत की जिन पंक्तियों का इस्तेमाल किया गया है वे ‘भगवद गीता’ के श्लोक से संबंधित हैं और उन्होंने निर्देशक क्रिस्टोफर नोलन से फिल्म से यह सीन हटाने की मांग की है।

भारत में शुक्रवार को रिलीज हुई 180 मिनट लंबी फिल्म ‘ओपनहाइमर’ ने महज दो दिनों में बॉक्स ऑफिस पर करीब 30 करोड़ रुपये की कमाई की है। भारत सरकार में सूचना आयुक्त उदय महुरकर ने नोलन को एक खुला पत्र लिखकर फिल्म के दृश्य को ‘‘हिन्दुत्व पर हमला” बताया है और निर्देशक से फिल्म से यह दृश्य हटाने की अपील की है।

‘सेव कल्चर सेव इंडिया फाउंडेशन’ के संस्थापक महुरकर ने लिखा है, ‘‘अरबों हिन्दुओं की ओर से तथा श्रद्धेय भगवद गीता से जीवन में होने वाले बदलाव के मद्देनजर हम अनुरोध करते हैं कि इस पवित्र ग्रंथ की गरिमा बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाएं और अपनी फिल्म से यह सीन हटाएं। अगर आप इस अपील को नजरअंदाज करते हैं तो इसे भारतीय सभ्यता पर जानबूझकर हमला करने के समान समझा जाएगा। आवश्यक कार्रवाई का उत्सुकता से इंतजार है।”

‘परमाणु बम के जनक’ माने जाने वाले ‘ओपनहाइमर’ ने संस्कृत सीखी थी और कहा जाता है कि वह भगवद गीता से प्रभावित थे। एक साक्षात्कार में भौतिकीविद ने कहा था कि 16 जुलाई, 1945 को पहले परमाणु बम विस्फोट के बाद उनके दिमाग में पहला विचार जो आया था, वह प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथ (भगवद गीता) का श्लोक था जिसका अर्थ है… ‘‘मैं ही मृत्यु, सृष्टि का संहारक हूं।”

फिल्म ‘ओपनहाइमर’ में भौतिकिविद की भूमिका निभा रहे सिलियल मर्फी को फ्लोरेंस पग के किरदार मनोवैज्ञानिक जीन टेटलर के साथ सेक्स करते हुए दिखाया गया है और उसी दौरान वह ओपनहाइमर से एक श्लोक पढ़ने को कहती है, जो संस्कृत की पुस्तक मालूम पड़ती है, जिसका शीर्षक और कवर पृष्ठ दिखायी नहीं दे रहा है। टेटलर के अनुरोध पर भ्रमित ओपनहाइमर उसके द्वारा बताया गया श्लोक पढ़ते हैं, जिसका अर्थ है … ‘‘मैं ही मृत्यु, सृष्टि का संहारक हूं।”

खबरों के अनुसार, केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म को यू/ए श्रेणी में रखा है, जो 13 साल से ज्यादा उम्र के किशोरों के देखने योग्य है। यूनिवर्सल पिक्चर्स द्वारा कुछ दृश्य काटे जाने और फिल्म की लंबाई छोटी किए जाने के बाद सेंसर बोर्ड ने इसे (फिल्म को) यू/ए श्रेणी का प्रमाणपत्र दिया है।

अमेरिका में इस फिल्म को ‘आर-रेस्ट्रिक्टेड’ की श्रेणी में रखा गया है, यानी 17 साल से कम उम्र के दर्शकों को अपने माता-पिता या वयस्क अभिभावकों की उपस्थिति में ही फिल्म देखने की अनुमति होगी। निर्देशक नोलन की यह पहली फिल्म है जिसे ‘आर’ प्रमाणपत्र मिला है।  

अपने पोस्ट में सूचना आयुक्त महुरकर ने लिखा है कि वह ‘‘किंकर्त्तव्यविमूढ़ हैं कि केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) इस सीन के साथ फिल्म को मंजूरी कैसे दे सकता है।” इस संबंध में संपर्क करने पर सीबीएफ के अध्यक्ष प्रसून जोशी या अन्य सदस्यों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

सोशल मीडिया के कुछ उपयोगकर्ताओं ने ‘ओपनहाइमर’ का बहिष्कार करने की अपील की है। एक ने लिखा है, ‘‘मुझे अभी-अभी पता चला है कि इसमें कुछ आपत्तिजनक सीन हैं। मैं उसे यहां नहीं दोहराऊंगा, लेकिन इसमें सबकुछ स्पष्ट है। हिन्दुत्व को सकारात्मक और तथ्यात्मक रूप से प्रदर्शित करने के लिए हॉलीवुड पर कभी भरोसा न करें।”

एक अन्य उपयोक्ता ने लिखा है, ‘‘ओपनहाइमर फिल्म में भगवद गीता के जिक्र पर हिन्दू खुशियां मना रहे थे, लेकिन हॉलीवुड द्वारा गीता के अपमान से वे क्रोधित और किंकर्त्तव्यविमूढ़ रह गए हैं। सेक्स के दौरान श्लोक का पाठ अपमानजनक और नस्लवादी है।” एक अन्य व्यक्ति ने इस दृश्य को ‘‘गैरजरूरी” बताया है।

एक अन्य उपयोक्ता लिखता है, ‘‘क्रिस्टोफर नोलन फिल्म में भगवद गीता को कहीं भी दिखा सकते हैं, लेकिन इसी (सेक्स) सीन में दिखाने की क्या जरूरत थी, मैं जानता हूं कि गीता से ओपनहाइमर कई रूपों में प्रभावित हुए थे, लेकिन इसे दिखाने का यह उचित स्थान (सीन) नहीं है।”