bade miyan chote miyan and maidan

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मुंबई: ईद के मौके पर रिलीज हुई फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘मैदान’ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई है। इससे सिनेमा क्षेत्र को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। बिहार के सिनेमाघर मालिक विशेक चौहान ने कहा कि वित्तीय वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में स्थिति चिंताजनक है।

विशेक चौहान ने आगे कहा कि जब कोई फिल्म हाउसफुल चलती है, तो कमाई होती है। लगभग 90 प्रतिशत कारोबार मंदा है। यह साल पूरी तरह बर्बाद हो गया। इसके चलते सिनेमाघरों के संचालक निराशा है। सिनेमा हॉल चलाने का खर्च करीब 30,000 रुपये प्रतिदिन आता है।

हमें रोजाना कम से कम एक लाख रुपये के कारोबार की आवश्यकता होती है। हालांकि, वर्तमान में बिक्री 5,000 रुपये से 15,000 रुपये तक की ही हो रही है। तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि स्थिति क्या होगी। बॉलीवुड की केवल ये दो फिल्में ही नहीं बल्कि साल की पहली तिमाही में आई फाइटर और योद्धा जैसी बड़े बजट की फिल्मों का प्रदर्शन भी खराब रहा।

चौहान के मुताबिक, फाइटर फिल्म ने कम से कम 25 से 27 करोड़ रुपये के साथ अच्छी शुरुआत की। वैसे तो फिल्म जगत में ईद के त्योहार पर फिल्म रिलीज होना लाभदायक साबित होता है, लेकिन बड़े मियां छोटे मियां और मैदान के असफल रहने से ये फिल्म उद्योग के लिए नुकसानदायक साबित हुई है।

चौहान ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस बार की ईद अच्छी साबित नहीं हुई। हमें 2022 में टाइगर श्रॉफ की हीरोपंती 2 और अजय देवगन की रनवे 34 को छोड़कर ईद पर कभी इतना नुकसान नहीं झेलना पड़ा।

बॉक्स ऑफिस की कमाई पर नजर रखने वाली वेबसाइट के अनुसार, कथित तौर पर 300 करोड़ रुपये से अधिक के बजट से बनी बड़े मियां छोटे मियां ने भारत में 72 करोड़ रुपये की कमाई की है। इसी तरह, 200 करोड़ रुपये से ज्यादा के बजट में बनी बताई जा रही मैदान ने भारत में 51 करोड़ रुपये की कमाई की है।

मध्य भारत के एक सिनेमाघर के मालिक अक्षय राठी ने बताया कि इस साल बड़े बजट की फिल्मों ने पिछले साल हिट हुई पठान, जवान, गदर 2 और एनिमल की तरह बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। व्यापार बहुत कम हो गया है। पिछले वर्ष की तुलना में बेहद खराब स्थिति रही है।

अक्षय राठी ने आगे बताया कि इस साल रिलीज हो रहीं फिल्में दर्शकों को पसंद नहीं आ रही हैं। जिन फिल्मों की कहानी अच्छी है चाहे वह शैतान हो या लापता लेडीज, दर्शक उन्हें देखने आए हैं। हमें कहानी प्रस्तुत करने के तरीके में रचनात्मक होने की आवश्यकता है।