हजारों हेक्टेयर पर खेती, एक भी सिंचाई बांध नहीं

  • सुविधा के अभाव में दोहरी फसल से वंचित

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सिरोंचा. तहसील के समूचे क्षेत्र में कृषि एकमात्र जरिया है. जो अधिकांश लोगों के जीविका को तय करती है. इसके बलबूते पर ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलती है. मगर सिंचाई बांधों के अभाव में स्थानीय किसान अधिकांश उपलब्ध कृषि भूमि पर महज एक फसल निकालते हैं. सुविधाओं का निर्माण एवं विस्तार किया जाए तो स्थानीय किसान भी अपनी कृषि भूमि पर दोहरी फसल निकालकर अपना और तहसील की आर्थिक पक्ष को सुधार सकते हैं. जिससे इस पिछड़ेपन से कब निजात मिलेगा, यह सवाल किसानों द्वारा पूछा जा रहा है. 

योजनाएं ठंडे बस्ते में
सिरोंचा तहसील की ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है. तहसील में उद्योगों एवं अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसर नहीं होने के चलते अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर होकर अपनी जीवनी को तय करते हैं. सिंचाई के क्षेत्र में तहसील में संभावनाओं के बावजूद अब तक इस संदर्भ में प्रयास होते नहीं दिख रहे हैं. पूर्व में प्रयास हुए भी तो वह धरातल पर उतर नहीं पाए हैं. उतर भी गए हैं तो उनका निर्वहन उल्लेखनीय तरीके से नहीं हो पाया है. जिससे वह योजनाएं ठंडे बस्ते में चली गई है. इसी का नतीजा कहा जाए कि अब भी क्षेत्र सिंचाई परियोजनाओं से अछूता है. तहसील के कृषि क्षेत्र पर नजर डाला जाए तो यहां पर कृषक कई तरह के फसलों को निकालने में है. जैसे कि धान, कपास, मिर्च, मक्का, मूंग, ज्वारी, बरबट्टी के अलावा सब्जी बागानों के विकास एवं विस्तार में निपुण होते जा रहे है. मगर दुरस्त एवं ग्रामीण अंचलों में सिंचाई क्षेत्र में सुविधाओं के अभाव में अपनी कृषि भूमि पर एकल फसल प्रणाली तक ही सीमित हो कर पलायन करने मजबूर हुए हैं. 

सिंचाई क्षेत्र में क्रांति आने की संभावनाएं
तहसील के रेगुंठा समीप 120 करोड़ से भी ज्यादा लागत से एक परियोजना पर कार्य प्रारंभ होने की बात कही जा रही है. इससे इस परिसर के गांवों में सिंचाई के क्षेत्र में क्रांति आने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है. इसके संदर्भ में स्थानीय विधायक धर्मराव बाबा आत्राम के योगदान की बात कही गयी है. जिससे उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग अपने विधायक से आशा है कि वे तहसील के अन्य क्षेत्रों में भी संभावनाओं के मद्देनजर सिंचाई योजनाओं के विस्तार के दिशा में पहल करेंगे. जानकारी के मुताबिक तहसील के रेगुंटा, जाफराबाद, रंगयापल्ली, मेड़ाराम, नरसायपल्ली,कारसपल्ली, सिरोंचा, अरड़ा, लंबड़पल्ली, पेंटिपाका,वढ़धम, अंकिसा, आसरअल्ली, सोमनपल्ली, पातागुड़म, कोरला, रामासगुडम क्षेत्रों में नदियों का प्रवाह बना हुआ है. जहां पर संभावनाओं को तलाश कर सिंचाई परियोजनाओं के दिशा में प्रयास किए जा सकते हैं. 

किसानों की आर्थिक क्षमता कमजोर
पड़ोसी राज्य तेलंगाना ने हाल ही में मेडिगड्डा बांध बनाकर अपने क्षेत्र को सुजलाम-सुफलाम करने के दिशा में प्रयासों की शुरुआत कर चुका है. जो कभी किसानों की आत्महत्याओं के संदर्भ में सुर्खियों में रह था. सिंचाई बांधों के बलबूते जहां एक ओर अपनी क्षेत्र को हरा-भरा करने में लगा है. वहीं बांध से वहां के किसानों का आर्थिक पक्ष मजबूत हो रहा है. जबकि स्थानीय जानकार मानते है, कि आज के हालातों में पड़ोसी राज्य के किसानों के आर्थिक क्षमता के अपेक्षा स्थानीय किसानों की आर्थिक क्षमता कमजोर है. जबकि आज के समय में वहां के कृषक अपने कृषि भूभाग पर दोहरी फसल निकालने के कगार पर आ चुके हैं.  राज्य की सरकार किसानों की हितों को ध्यान में रख कर कई तरह के योजनाओं को चला रही है. इसके साथ ही सिंचाई सुविधाओं के विकास एवं विस्तार के दिशा में प्रयास हो तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में चार चांद लगने का अनुमान लगाया जा रहा है.