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  • पाबंदी हटाने को लेकर उठने लगी मांग

गडचिरोली. जिले में अवैध शराब बिक्री के चलते शराबबंदी को नामधारी बना दिया है. जिसके चलते जिले में अवैध के साथ ही नकली शराब बेचे जाने के अनेकों मामले सामने आए, किंतू कडे अमल के अभाव में जिले में अवैध शराब की बिक्री जारी रही. अब जिले में अवैध शराब के साथ ही यह शराब जहरीली भी बनती जा रही है. जिसके फलस्वरूप हाल ही में चामोर्शी तहसील के लक्ष्मणपूर में जलरीली शराब पिने से 2 लोगों को अपनी जाने गवानी पडी.

जिससे जिले में अवैध के साथ ही यह शराब जानलेवा भी बनती जा रही है. फिर भी जिले में अवैध शराब बिक्री बदस्तूर जारी है. जिससे शराबबंदी को लेकर अब सवाल उठते नजर आ रहे है. कुछ लोग इसे जानलेवा शराबबंदी करार देते हुए इसे हटाने की मांग कर रहे है, वहीं समाजसेवीयों द्वारा नशामुक्ति की मुहिम अब भी जारी है. ऐसे में अवैध के साथ ही जानलेवा बनी इस शराब’बंदी’ को लेकर सरकार क्या कदम उठाती है, इस ओर सभी की निगाहें टिकनी शुरू हो गई है. 

राज्य के अंतिम छोर पर बसे पिछडे गडचिरोली जिले में सरकार ने शराबबंदी कानुन तो लागू कर दिया है, मात्र उसके प्रभावी अमल आजतक जिले में नहीं हो पाया है. जिसके फलस्वरूप शराबबंदी लागू होकर 26 वर्ष से अधिक का समयावधि बित चुका है. मात्र जिले में अवैध शराब बिक्री के बदौलत कहीं भी शराब बंदी नजर नहीं आती है. जिले में अवैध शराब के तौर पर नकली शराब बेचने के अनेकों मामले सामने आए है, फिर भी सरकार व प्रशासन ने इस ओर गंभिरता से ध्यान नहीं दिया. शहरी अंचल में बौतलबंद तो ग्रामीण अचल में हाथभट्टे की शराब बडे पैमाने पर बेची जाती है. हाल ही में ग्राम पंचायत के चुनाव हुए.

इस बिच चामोर्शी तहसील के लक्ष्मणपूर में एक प्रत्याशी द्वारा वोटो के लिए मतदाताओं को हाथभट्टे की जहरीली शराब पिलाने के चलते 2 लोगों को अपनी जान गवानी पडी. वहीं 9 लोगों को अस्पताल का मुंह देखना पडा. समय पर अस्पताल में पहुचने से उनकी जान बच पायी. इस घटना ने जिले के शराबबंदी को लेकर अनेक सवाल निर्माण किए है. इस घटना के बावजूद भी जिले में अवैध शराब बिक्री का कारोबार जारी है. विगत दिनों राज्य के एक मंत्री ने चंद्रपूर के साथ ही गडचिरोली जिले के शराबबंदी हटाने को लेकर खुलकर आगे आए थे. उन्होने शराबबंदी के दुष्परिणामों का विवरण देते हुए शराबबंदी हटाने के लिए सरकार से गुजारीश की थी.

इस दौर को गुजरे कुछ माह का समय बिता नहीं की लक्ष्मणपूर की घटना ने शराबबंदी के दुष्परिणामों को ही बयां कर दिया है. जिससे फिर से कुछ राजनितिक पदाधिकारी व संगठन के पदाधिकारियों द्वारा शराबबंदी हटाने की मांग उठने लगी है. जिले में सामाजिक संस्थाओं द्वारा नशामुक्ति की जनजागृति व अहिंसक कृतियों द्वारा कार्रवाईयां जारी है. मात्र अवैध शराब की बिक्री पूर्णत नहीं थमती तबतक जनहितार्थ लागू किए गए शराबबंदी सफल नहीं हो सकती, ऐसी बात जनमानस द्वारा कहीं जा रही है. 

पुलिस ने पकडी करोडों की शराब

जिले में शराबबंदी कानुन लागू होने से वैद्य शराब बिक्री तो बंद हुई, मात्र जिले में अवैध कारोबारी सक्रीय हुए. जिसके बदौलत जिले में सर्वत्र अवैध शराब की बिक्री हो रही है. जिले में अवैध शराब बिक्री पर नकेल कसने के लिए राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के साथ ही पुलिस दल को भी कार्य सौंपा गया है. जिससे पाबंदी के इन लंबे अंतराल में दोनों विभागों ने करोडों रूपयों की शराब पकडी है.

पुलिस विभाग ने अनेक कार्रवाईयां करते हुए शराब तस्करों को भी धरदबोचा है. फिर भी अवैध शराब बिक्री का कारोबार बदस्तूर जारी है. इसमें कुछ भ्रष्ट पुलिस कर्मी व अवैध कारोबारियों के बिच सांठगांठ होने के चलते शराबबंदी सफल नहीं होने की बात भी कहीं जाती है. जिससे अवैध शराब बिक्री को रोक लगाने के लिए अब सरकार को ही ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ऐसी बात कहीं जा रही है. 

चंद्रपूर के तर्ज पर जिले में समिक्षा समिति की जरूरत 

गडचिरोली के साथ ही कुछ वर्ष पूर्व चंद्रपूर जिले में भी शराबंदी लागू की गई थी. जिसके पश्चात गडचिरेाली की तरह ही चंद्रपूर में भी अवैध शराब के कारोबारीयों ने अपनी जडे मजबूत की. जिसके फलस्वरूप वहां भी अवैध शराब बिक्री बदस्तूर जारी है. ऐसे में शराबबंदी के पश्चात की स्थिती को देखते हुए वहां के स्थानीय एक मंत्री शराबबंदी के खिलाफ खुलकर सामने आए. उन्होने सरकार की ओर प्रयास किया. जिसके चलते शराबबंदी के फायदे व नुकसान की समिक्षा करने के लिए समिति भी गठीत किए जाने की जानकारी है. अब गडचिरोली जिले के लिए भी ऐसी ही समिति गठीत कर समिक्षा करने की मांग उठने लगी है.