GPS map showing non-existent route

देश की आजदी के बाद सन 1950 देश में देश में सड़कों का जाल बिछाना शुरु हुआ।

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  •  गुमराह होकर घने जंगल में फंस रहे वाहन चालक

सिरोंचा. देश की आजदी के बाद सन 1950 देश में देश में सड़कों का जाल बिछाना शुरु हुआ। उस समय कई  नये मार्गों का निर्माण हुआ किंतु कुछ अधूरे रह गये। उसी में एक राष्ट्रीय मार्ग 16 है। तेलंगाना के निजामाबाद से छत्तीसगढ के जगदलपुर तक राष्ट्रीय मार्ग का सर्वे हुआ था। उस समय मार्ग निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई का कार्य पूर्ण हुआ, इसके बाद कार्य आगे नहीं बढ़ पाया। मात्र गूगल मैप पर यही मार्ग दर्शा है इसकी वजह से मैप के सहारे मार्ग तलाशने वाले आगे जाकर घने जंगल में फंस जाते है और उन्हे भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

मार्ग के लिए काटे 20 किमी के जंगल

राष्ट्रीय महामार्ग के लिए लगभग 20 किमी जंगल काटकर सड़क सीमा (रोड बॉउंड्री) तय की गई। फिर कुछ कारणवश काम रोक दिया गया उसके बाद 6 दशक से अधिक समय बीत गया पर इस राष्ट्रीय मार्ग की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। उस वक्त के भारत के नक्शे में निजामाबाद से जगदलपुर सड़क मार्ग को दर्शाया गया किंतु वर्ममान में वह अस्तित्व में नहीं है।

सिरोंचा के आगे नहीं हैं सड़क

राष्ट्रीय राज्य मार्ग क्रं. 16 अब 63 के नाम से जाना जाता है। तेलंगाना महाराष्ट्र, छत्तीसगढ से होकर गुजरता है। तेलंगाना के निजामाबाद, मंचेरियल, महाराष्ट्र के सिरोंचा अमडेली, कोपेला, छत्तीसगढ़ के भोपालपटनम ,जगदलपुर यह मार्ग विगत 6 दशकों से देश के नक्शे पर मौजूद है। किंतु वास्तव में इस मार्ग का कुछ हिस्सा अस्तित्व में नहीं है। सिरोंचा तहसील का यह इलाका घने जंगलों से घिरा है। लोग आज जीपीएस मैप का इस्तेमाल कर के अपना लंबे सफर पर निकलते है। जीपीएस मैप के मुताबिक जब लोग सिरोंचा आते है। तब जगदलपुर जाने के लिए सिरोंचा अमडेली कोपेला मार्ग डिस्प्ले पर दिखता है। लोग इस मैप के सहारे आगे बढ़ते है सिरोंचा से 5 किमी की दूरी पर दाहिने मुड़कर आगे सफर करते है। किंतु वहां न ही पक्की सडक है और न ही कच्ची। लोगों को लगता है कि यह मार्ग खराब है आगे जाकर सडक होगी।  किंतु 10 से 15 किमी जाने के बाद भी सडक नहीं मिलती है। 

घने जंगल में फंसा पुणे का परिवार 

हाल ही में एक पुणे के परिवार बीजापुर जाने हेतु जीपीएस मैप से अपना मार्ग तय कर रहा था।  कच्ची सड़क से 14 किमी जाने के बाद वहा उनका वाहन खराब हो गया था। कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं उस सड़क पर कोई आता जाता नही। ऐसे में घने जंगलों में परिवार अकेला पड गया, लाख कोशिशों के बाद भी कुछ संपर्क न होने पर परिवार रुआंसा हो गया। कुछ समय बाद वहां से एक व्यक्ति निकला उसकी सहायता से लोग अपने वाहन के साथ बाहर निकले। उस इलाके में गोंडी और तेलगू भाषा बोली जाती जिससे बाहरी लोगों को परेशानी होती है। गूगल मैप में इसे सुधारा जाये जिससे इस प्रकार कोई जंगल में न फंसे।   

सिर्फ कागजों पर बना राष्ट्रीय मार्ग

1950 में किया गया सबसे पुराने राष्ट्रीय मार्ग का सर्वे सिर्फ दस्तावेज बन कर रह गया है। लोगो द्वारा बताया जाता है के 1952 के करीब तमदाला फाटे से अमडेली तक निजामाबाद से जगदलपुर राष्ट्रीय मार्ग की नींव रखी गयी। सिरोंचा तहसील तत्कलीन चंद्रपुर जिले का अभिन्न अंग था। यह इलाका आदिवासी बहुल है अगर उस वक्त के हिसाब से यह राष्ट्रीय मार्ग बन जाता तो तहसील के तमदाला, अमडेली,झिंगानुर,कोपेला जैसे बहुल आदिवासी समाज के गांव 21 वीं सदी की चमक और विकास को देख पाते। बारिश के दिनो मे 3 से 4 महीने बाहरी दुनिया से उनका सम्पर्क टूट जाता है। 1950 के दशक में सड़क बन जाती तो कई असमाजिक तत्व सिर नहीं उठा पाते और यह परिसर विकास के साथ फलता फूलता।