- उच्च न्यायालय के निर्णय से राजनितीक हडकंप
गडचिरोली. कार्यकाल पुरा होनेवाले तथा कार्यकार्य पुरा हुए ग्रामपंचायत पर प्रशासक के रूप में स्थानिय स्तर से निजी की नियुक्ति करने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया था. इस निर्णय से सत्ताप्राप्त पार्टी की ओर से राजनितीक कार्यकर्ताओं का चयन होने का संकेतों के कारण राजनितीक खलबली मची थी. राज्य सरकार के इन निर्णय के खिलाफ राज्यभर में विभिन्न स्तर से याचिका दाखिल किए गए थे. जिलें में भी इसका हड़कंप मच गया था. इस याचिका पर मुंबई उच्च न्यायालय ने ग्रापं पर प्रशासक के रूप में सरकारी अधिकारी का ही चयन करें, ऐसा आदेश देते राज्य सरकार को झटका दिया है. राज्य के कार्यकाल पुरा हुए ग्रापं पर प्रशासक चयन करने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया होकर इस संदर्भ में 13 जुलाई को अध्यादेश निकाला. पालकमंत्री सल्लाह के अनुसार जिप मुख्य कार्यकारी अधिकार द्वारा कार्यकाल पुरा हुए व कार्यकाल पुरा करनेवाले ग्रापं पर प्रशासक के रूप में स्थानिय स्तर से निजी व्यक्ति का चयन करने का आदेश जारी किया गया था. जिलें के विभिन्न राजनितीक विश्लेषको ने राज्य सरकार के ग्राम विकास खाते ने निकाले यह पत्रक गैरकानुनी होकर पंचायत प्रणाली लोकाभिमूख करने का किए प्रयासों को संवैधानिक बाधा निर्माण करने का बताया गया था. राज्य सरकार के इस आदेश से जिलें में खलबली मची थी.
जिलें के 200 के उपर ग्रापं का कार्यकाल पुरा
जिलें के अतिदुर्गम व ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 200 के उपर ग्राम पंचायत के जुन महिने के पूर्व कार्यकाल पुरा हुआ है. इन ग्रापं पर पहले ही विस्तार अधिकारियों का चयन किया गया था. अनेक विस्तार अधिकारी की ओर एक की समय पर अनेक ग्रापं का प्रभार सौंपा गया है. इसमें राज्य सरकार के ग्राम विकास विभाग ने परिपत्रक जारी कर स्थानिय राजनितीक कार्यकर्ता ही प्रशासक होने का संकेत दिया था. जिससे इस कार्यकाल पुरा होनेवाले ग्रापं की ओर सभी के नजरे टीकी हुई थी. मात्र मुंबई उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के आदेश को बढावा देते ग्रापं पर स्थानिय प्राधिकरण के सरकारी अधिकारी तथा कर्मचारी का ही चयन करने का आदेश दिया. इस संदर्भ का अंतिम निर्णय सोमवार न्यायालय स्पष्ट होनेवाला होने से जिलें के जनता की इस आदेश की ओर ध्यान लगा है.
कोरोना प्रादुर्भाव का कारण किया था सामने
कोरोना के प्रादुर्भाव में कार्यकाल पुरा होनेवाले तथा कार्यकाल पुरा किए ग्रामपंचायत का चुनाव लेना संभव न होने का कारण सामने कर संबंधित ग्रांप पर प्रशासक के रूप में स्थानिय निजी व्यक्ती का चयन करने का राज्य सरकार की ओर दिया गया था. कोरोना महामारी में गांव का कारभार सुचारू रूप से चले, इसलिए उक्त निर्णय लिया गया होकर इसमें किसी भी प्रकार का राजनितीक हेतु न होने का राज्य सरकार के ग्राम विकास मंत्री ने बताया. मात्र उक्त कार्यकाल पुरा हुए ग्रापं पर पहले ही विस्तार अधिकारी का चयन किया गया होकर भी स्थानिय गांव के व्यक्ति का चयन करने कारण क्या है ? ऐसा सवाल जिलें के नागरिकों की ओर से उपस्थित किया जा रहा है.
न्यायालय के निर्णय का स्वागत – विधायक डा. देवराव होली
राज्य सरकार के ग्राम विकास विभाग ने 13 जुलाई को निर्गमित किए अध्यादेश यहं घटनाबाह्य होकर इस आदेश को स्थगिति देने संदर्भ में मै खुद राज्य के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, प्रधान सचिव को ज्ञापन पेश किया था. कोरोना का प्रादुर्भाव में कार्यकाल पुरा हुए ग्रापं का चुनाव लेना असंभ होने से पुराने ही सरपंच की अवधि बढाए, अन्यथा प्रशासकीय अधिकारी का चयन करें, ऐसा ज्ञापन में कहा था. मुंबई उच्च न्यायालय ने दिए निर्णय का स्वागत होकर इस निर्णय से पंचायत व्यवस्था की स्वतंत्रता अबाधित रहेगीं, ऐसी प्रतिक्रिया विधायक डा. होली ने व्यक्त की.