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  • खेतों में जमी रेत का नाम, नदीयों में उत्खनन का काम
  • कुंभकर्णी निंद में प्रशासन

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गडचिरोली. सरकार ने नदीतट के किसानों को राहत देते हुए खेतों जमा हुई रेत को बेंचकर अपने नुकसान की पूर्ति करने का अधिकार दिया है. जिसके तहत किसान अपने नदी में जमा हुई रेत को अपने उपयोग में ला रहे है, या अन्य किसी को बेंच रहे है. मात्र इन अधिकारों का अवैध रूप से लाभ अब रेत माफीयां उठाने की बात सामने आ रही है. यह रेत माफीयां इन किसानों की आड में नदीतट से भारी मात्रा में रेत उत्खनन कर रेत की तस्करी कर रहे है.

इस माध्यम से यह रेत माफीयां मालामाल हो रहे है, इस तरह अवैध रूप से रेत तस्करी के मामले जारी होकर सरकार के राजस्व पर भारी चपत लग रही है. मात्र इस ओर संबंधित विभाग का अबतक ध्यान नहीं होने से प्रशासन की नितियों पर संदेह व्यक्त हो रहा है. एक ओर जिले में विगत 1 वर्ष से रेतीघाटों की निलामी नहीं हुई है, ऐसे में लोगों को निर्माणकार्य में रेत की व्यापक आवश्यकता है. जिससे अवैध रूप से मिलनेवाली रेत सोने के भाव बिक रही है. ऐसे में इन अवैध रेत माफियाओं की चांदी होने की बात कहीं जा रही है, मात्र संबंधित विभाग अब भी कुंभकर्णीयां निद्रा में है. 

बाढ के चलते खेतों में जमी रेत

इस वर्ष गोसेखुर्द बांध के दरवाजे खोले जोने के कारण वैनगंगा नदी समेत उसके उपनदीयों को बाढ आयी थी. जिससे बाढ का पानी खेतों में घुस गया था. जिससे फसलों का भारी नुकसान हुआ. बाढ के चलते नदीतट के अनेक किसानों के खेत में कुछमात्रा में नदी की रेत जम गई है. सरकार ने किसानों को इस माध्यम से हुए नुकसान की पूर्ति करने के लिए उन्हे खेतों में जमी रेत को बेचने की सहुलियत दी है. इसी का लाभ अब रेत तस्कर उठाने की बात सामने आ रही है. 

खेतों में डाली जा रही नदीयों की रेत

अवैध रेत तस्करी ऐसे किसानों की खोज कर उन्हे कुछ धनराशी का लालच देकर उनसे खेतों से रेत उठा रहे है. ऐसे में यह रेत माफिया अपनी चाल खेलते हुए नदी परिसर में रेत का उत्खनन कर उक्त रेत को खेतों में डाला जा रहा है. खेतों में रेत रहने का कारण कोई सवाल उठाया नहीं जाता है. ऐसे में खेतों से धडल्ले से खुलेआम रेत की तस्करी होती है. किसानों का सातबारा दिखाते हुए रेती तस्कर अपनी दाल गला रहे है. मात्र संबंधित विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है. कोई अधिकारी या कर्मचारी खेतों पर पहुंच भी जाता है, तो उसे खेत में रेत के ढेर दिखने पर अभी जमा की गई रेत का हवाला दिया जाता है. किसी को संदेह हो तो इसका निवारण अलग तरीके से भी किया जाता है, ऐसी बात भी कहीं जा रही है. 

रात के अंधेरे में होती है खुदाई

अवैध रेत तस्करों द्वारा जेसीबी, पोकलैंड आदि के माध्यम नदी में रात के अंधेरे में खुदाई कर रात के दौरान ही उक्त रेत खेतों तक पहुचाई जा रही है, वहीं दिन के उजालों में खेतों से खुलेआम तस्करी हो रही है. बतां दे कि, गडचिरोली जिला नदीयों का जिला है. यहां वैनगंगा समेत अनेक छोटी-बडी नदीयां है. इन नदीयों के तट पर ही अनेक किसानों की खेती है. ऐसे में इन सफेदपोश तस्करों की इन दिनों खुब चलती होने की बात कहीं जा रही है. मात्र इन तस्करों पर कब नकेल सकेगी, यह सवाल उठाया जा रहा है. बताया जाता है कि, रेत तस्करी व संबंधित विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारियों में सांठगांठ होने के कारण ही इन तस्करों के हौसले बुलंद होने की बात भी कहीं जा रही है. 

राजस्व को लग रही चपत

विगत 1 वर्ष से रेती घाटों की निलामी प्रलंबित होने के कारण जिले में निर्माणकार्य करनेवालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है. अनेक लोगों के निर्माणकार्य प्रलंबित है. मात्र कुछ लोगों को निर्माणकार्य की व्यापक आवश्यकता होती है, ऐसे में अवैध रेत तस्कर इसका व्यापक लाभ उठा रहे है. रेत तस्करी से रेती माफियाओं की तिजोरी भर रही है, वहीं दुसरी ओर सरकार के तिजोरी पर चपत लगने की बात कहीं जा रही है. जिससे गडचिरोली जिले के रेतीघाटों की निलामी होना आवश्यक होने की बात कहीं जा रही है. रेती घाटों की निलामी नहीं होती, तबतक इस तरह के रेत तस्करी पर अंकुश नहीं लग सकती है, ऐसी बात भी कहीं जा रही है.