आज भी गुमनाम गलियों में खोया है वियाग्रा जलप्रपात

  • बन सकता है, पर्यटन का प्रमुख केंद्र

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सिरोंचा. ब्रटीश कालीन रियासत सिरोंचा तहसील क्षेत्र जिसे कुछ लोग दण्डाकराण्य क्षेत्र भी कहते है। यह क्षेत्र विकासशील होने के साथ साथ नैसर्गिक सुन्दरता के मामले मे धनी क्षेत्र माना जाता है। तहसील क्षेत्र मे ऐसे अनेकों नैसर्गिक धरोहर है जो आज भी गुमनामी के साये मे दबे हुए है। इन क्षेत्रों का जीर्णोद्वार  एवं विकास कर इन्हे पर्यटक स्थल में  बदला जा सकता है। हालांकि इसके लिये सरकार एवं प्रशासन को बड़ी कार्य-योजना बनाना पड़ेगा। इस मामले में पडोसी राज्य तेलंगाना एवं छत्तीसगड़ ने अपने आधीन दण्डाकाराण्य क्षेत्रों के नैसर्गिक क्षेत्रों को पर्यटन केंद्रों के रुप मे विकसित करने के दिशा मे कदम बढा चुका है। 

तहसील के बेज्जुरपल्ली एवं पर्सेवाड़ा के समीप एक जल प्रपात है। जो आज भी गुमनामी में खोया हुआ है। इस जल प्रपात के बारे मे स्थानीय लोग बताते है कि तहसील क्षेत्र में इसके मुकाबले कोई दूसरा इतना बडा जलप्रपात नहीं है। ग्रामीणों की माने तो घने जंगलों में मौजूद इस जलप्रपात कि आवाज रात के सन्नाटे मे काफी दूर तक सुनाई पडती है। निकट भविष्य में इससे पर्यटन केंद्र का दर्जा प्रशासन दे तो विकास की नई लहर आ सकती है।

उस क्षेत्र के लोगों ने बताया है की इस जल प्रपात को स्थानीय लोग एत्थु -बोदारि कहते है। वहीं कुछ  एक जानकार लोग इससे धब-धबा भी कहते है। यह जल प्रपात वर्ष भर अपनी सुंदरता को बिखेरती है। बारिश के दिनों यह अपने पुरे शबाब पर होता है। स्थानीय कुछ लोग इससे देखने जाते भी है. मगर इस जल प्रपात तक पहुंचने मे बड़ी जद्दोजहद करनी पडती है। वजह पहुंचहीन सड़क, घने जंगल, जंगली जानवरों का खतरा बने रहना है। इसके गुमनामी में होने की एक वजह यह भी बतायी गयी है। जानकारी के मुताबिक यह क्षेत्र वनक्षेत्र के वाइल्ड एनिमल क्षेत्र के तहत आता है। जहां अनेक तरह के बंदिशे लागू रहती है। वन प्रशासन चाहे तो प्रकृति प्रेमियों एवं पर्यटकों के लिये पर्यटन क्षेत्र के रुप मे विकसित कर इस क्षेत्र को खोल सकती है। हालांकि इसके लिये सड़क,जरुरी सुविधाएँ, सुरक्षा, यातायात व्यवस्था के नाम पर बड़ी राशि कार्य-योजना बनाकर खर्च करनी पड़ेगी।  

पहुंचने का रास्ता     

इस जल प्रपात तक पहुंचने के लिये अहेरी सिरोंचा मार्ग से बेज्जुरपल्ली गांव की ओर जाना होता है। जहां से पश्चिम दिशा की ओर यानी पर्सेवाड़ा मार्ग पर लगभग 8 किलोमीटर  आगे बढने पर पहाड़ में लिंगो-जन्गो पेन्टाना नाम का एक धार्मिक केंद्र मौजूद है। जहां से इस प्रपात तक लगभग 500 मीटर की दूरी पैदल तय कर पहुंचना होता है। यह ध्यान रहे की इछुक लोग सुरक्षा एवं सतर्कता के साथ यह पहुंचे। साथ ही अपनी जरुरत की चीजें पेयजल, खाध्य सामाग्री साथ लेकर जाये।