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प्रेमचंद जी का वास्तविक नाम धनपत राय था। उन्हें लोग नवाब राय के नाम से भी जानते थे। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर से चार मील दूर लमही नामक गांव में हुआ था।
प्रेमचंद जी का वास्तविक नाम धनपत राय था। उन्हें लोग नवाब राय के नाम से भी जानते थे। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर से चार मील दूर लमही नामक गांव में हुआ था।
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उपन्यासों की लोकप्रियता के चलते ही प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट कहा जाता है।
उपन्यासों की लोकप्रियता के चलते ही प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट कहा जाता है।
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उन्होंने अपनी कहानियों में भारत के वंचित शोषित, दलित, पिछड़े और गरीब किसानों के लिए संघर्ष वर्णित किया है। उनकी कहानियां दलितों व स्त्रियों के दु:खों को उजागर ही नहीं करतीं, बल्कि उसे मार्मिक भी बना देती हैं।
उन्होंने अपनी कहानियों में भारत के वंचित शोषित, दलित, पिछड़े और गरीब किसानों के लिए संघर्ष वर्णित किया है। उनकी कहानियां दलितों व स्त्रियों के दु:खों को उजागर ही नहीं करतीं, बल्कि उसे मार्मिक भी बना देती हैं।
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उनके प्रमुख उपन्यासों में सेवासदन, गोदान, गबन, कायाकल्प, रंगभूमि प्रेमाश्रय, कर्मभूमि आदि हैं।
उनके प्रमुख उपन्यासों में सेवासदन, गोदान, गबन, कायाकल्प, रंगभूमि प्रेमाश्रय, कर्मभूमि आदि हैं।
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आर्थिक परेशानियों के कारण पत्नी साथ छोड़ गई। तब जाकर उन्होंने एक विधवा महिला शिवरानी देवी से विवाह किया।
आर्थिक परेशानियों के कारण पत्नी साथ छोड़ गई। तब जाकर उन्होंने एक विधवा महिला शिवरानी देवी से विवाह किया।
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मुंशी प्रेमचंद ने महात्मा गांधी के आह्वान पर 1921 में नौकरी छोड़ दी थी। उस समय वह स्कूलों के डिप्टी इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे।
मुंशी प्रेमचंद ने महात्मा गांधी के आह्वान पर 1921 में नौकरी छोड़ दी थी। उस समय वह स्कूलों के डिप्टी इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे।
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आज ही के दिन यानी 8 अक्टूबर को सन् 1936 में जलोदर के कारण उनका देहांत हो गया था।
आज ही के दिन यानी 8 अक्टूबर को सन् 1936 में जलोदर के कारण उनका देहांत हो गया था।