New antibody inhibits spread of Covid-19 in cells: Study
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    गोंदिया. कोरोना के संक्रमण ने आतंक मचा रखा है. एक ओर जहां अस्पतालों में भीड़ बढऩे से गंभीर मरीजों को बेड नहीं मिल रहे है. मैन पावर की कमी पहले से ही बनी है. वहीं अचानक भीड़ बढऩे से स्थिति और बिगडऩे लगी है. जबकि दूसरी ओर कई लोग स्वयं की मर्जी से ही दवाई और जांच भी करा रहे है. सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही विभिन्न तरह की जानकारी लोगों के लिए मुसीबत बन रही है. अपनी मर्जी के डाक्टर बनने का ही नतीजा है कि लोग गंभीर होने के बाद अस्पतालों में भर्ती हो रहे है. मरीजों की संख्या बढऩे की वजह से पूरे जिले में हड़कंप मचा हुआ है. हर दिन सैकड़ों की संख्या में कई लोग पाजिटिव आ रहे है.

    वहीं रोजाना जिले में 20 से 30 लोगों की मृत्यु हो रही है. देखने में यह भी आ रहा है कि लोगों में बीमारी से ज्यादा घबराहट हावी होती जा रही है. कोई लक्षण नहीं होने के बाद भी यदि ऑक्सीजन लेवल में उतार चढ़ाव होता है तो लोग हड़बड़ा रहे है. साथ ही किसी विशेषज्ञ डाक्टर की सलाह लेने की बजाए नए नवेले प्रैक्टिस करने वाले डाक्टर के पास जाकर उपचार करा रहे है.

    कई लोगों को यह भी मालूम हो जाता है कि उनमें बीमारी के लक्षण है लेकिन किसी अन्य को मालुम न हो सके इस वजह से भी टेस्ट कराने से कतरा रहे है. इसी से स्थिति भयंकर हो रही है. डाक्टरों की माने तो लक्षण दिखते ही जांच कराने पर स्पष्ट हो जाता है कि बीमारी जकडऩे लगी है. इस हालत में लोग स्वयं को आइसोलेट कर अपना उपचार करा सकते है लेकिन इसके लिए भी विशेषज्ञ डाक्टरों की सलाह लेना अनिवार्य है.

    अस्पताल जाने से कतरा रहे नागरिक

    अस्पताल जाने के डर से कई लोग घरेलु नुस्खे अपना रहे है. इसमें सोशल मीडिया का रोल महत्वपूर्ण हो गया है. इन दिनों सोशल मीडिया पर तरह तरह की जानकारी वायरल की जा रही है. जिसमें कोरोना से पूरी तरह मुक्ति का दावा किया जा रहा है. लोग इन नुस्खों को भी आजमा रहे है. लेकिन यह कारगर साबित होंगे  इसकी कोई गारंटी नहीं है. कुछ लोग परिचितों व आस पडोस के लोगों द्वारा बताई गई दवा का सेवन कर रहे हैं. यदि इनमें से कोई ठीक हो जाए तो वह व्यक्ति पुरे दावे से अन्य लोगों को बता रहा है.

    डाक्टरों का कहना है कि सभी को अपने अपने तरीके से उपचार कराने का अधिकार है लेकिन हर मरीज की हालत एक जैसी नहीं होती. उम्र के साथ ही संबंधित मरीज को पहले से होने वाली बीमारियां भी मायने रखती हैं. ऐसे में विशेषज्ञ डाक्टरों की सलाह लेना ही उपयुक्त है. वहीं कई लोग दिन भर में कई बार ऑक्सी मीटर से अपना ऑक्सीजन लेवल चेक कर रहे है.

    ऑक्सीजन लेवल कम अधिक होते रहता है लेकिन जैसे की कम हुआ वे घबरा जाते है. जबकि डाक्टरों का कहना है कि ऑक्सीजन लेवल मशीन की गुणवत्ता की परख भी अनिवार्य है. साथ ही वह कितने दिनों से उपयोग में लाई जा रही है यह भी देखना आवश्यक है. यदि ऑक्सी लेवल कम होने का संदेह हो तो संबंधित डाक्टर से जांच कराई जा सकती है. लोगों को बेवजह घबराने की जरुरत नहीं है. मन में सकारात्मक विचार रखकर योग्य उपचार किया गया तो कोरोना को मात किया जा सकता है. साथ ही किसी की कही सूनी पर विश्वास रखना भी नुकसानदायक हो सकता है. यह वक्त अफवाहों पर भरोसा करने की बजाए समय पर उपचार कराने का है.