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गोंदिया. खरीफ मौसम समाप्त गया है और अब रबी मौसम की शुरुआत हो चुकी है. दिनोंदिन कृषि की उर्वरक क्षमता पर असर पड़ने लगा है. खाद बनाने पहले उपयोग में लाया जाने वाला प्राकृति कचरा कम होने लगा हैं. इसके स्थान पर पत्थर तथा बेकार वस्तु डाली जाने लगी हैं. खेतों में काच, लोहे के तुकड़े आदि डालने से किसानों का नुकसान हो रहा है. इससे किसानों द्वारा लगाई फसल की उपज में कमी आने लगी है.

पहले खाद बनाने के लिए खाद गड्ढों में गोबर व घर से निकलने वाला सब्जी, पत्ते वाला कचरा उपयोग में लाया जा रहा था, लेकिन किसानों ने इसमें बदलाव किया है. किसान अब लकड़ी व अन्य कचरा जलाकर खाद में मिश्रित कर रहे हैं. इससे मिट्टी की पौष्टिकता में कमी आने लगी हैं.

कचरे का प्रबंधन करने की जरूरत

खेती की मरम्मत करते हुए खाद, ट्रैक्टर व बैलगाड़ी का उपयोग कर खेतों में फैलाया जा रहा है. मिश्रित खाद से कई तरह की समस्या निर्मित होने लगी हैं. खाद में कांच व लोहे की वस्तु मिश्रित करने से किसानों को नुकसान वहन करना पड़ रहा है. खेतों में काम करने वाले मजदूरों को भी इससे चोट लगने के मामले सामने आ रहे हैं.

कृषि विभाग की ओर से किसानों को रासायनिक खाद का सीमित मात्रा में उपयोग करने करने का आह्वान किया गया है. इसके साथ अधिकाधिक कंपोस्ट खाद का उपयोग करें, प्लास्टिक थैली, कचरा, पत्थर से उपज में कमी आएगी. कचरे का उचित प्रबंधन किया गया तो उपज में वृध्दि होगी.