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    गोंदिया. जिले से बहने वाली वैनगंगा और बाघ नदी से बारिश के दिनों में जिले के 21 गांवों को प्रभावित होना पड़ता है. वहीं 4-5 स्थानों पर अतिवृष्टि होने के बाद खतरा होने की संभावना होती है. जिससे बारिश के दिनों में इन स्थानों से दूर रहने में ही भलाई है. इसके लिए नागरिकों को सतर्क रहने की जरूरत है.

    इन दोनों नदी में बाढ़ आने पर तिरोड़ा और गोंदिया तहसील के 21 गांवों पर असर पड़ता है. इसमें ब्राम्हणटोला, पुजारीटोला, वडेगांव, बिरसोला, कासा, किन्ही, महालगांव, मुरदाड़ा, धापेवाड़ा, लोधीटोला, मरारटोला, किडंगीपार, अर्जुनी, सावरा, पिपरिया, चांदोरी खुर्द, चांदोरी बु. घाटकुरोड़ा व करटी आदि गांवों का समावेश है. इन सभी गांवों में अतिवृष्टि होने पर खतरे की परिस्थिति निर्माण होती है.

    शहर में पानी जमा होने वाला स्थान

    जोरदार बारिश या अतिवृष्टि होने पर कटंगीकला, पिंडकेपार, फुलचूर, कुडवा, छोटा गोंदिया, संजय नगर आदि परिसर में बड़े पैमाने पर पानी जमा हो जाता है. यह क्षेत्र पांगोली नदी से सटा होने से इस नदी का पानी अनेक बार उक्त गांवों में घूसता है. जिससे इस परिसर में संकट की परिस्थिति निर्माण होती है. इस परिसर में ढलान होने से वहां पानी जमा होता है.

    नप कर रही अनदेखी

    हर वर्ष बारिश के दिनों में शहर के कुछ क्षेत्रों में पानी जमा होता है. थोड़ी बारिश हुई कि शहर के मार्गो पर घूटने भर पानी जमा होता है. शहर के कुछ निचले क्षेत्र है. जहां बारिश के दिनों में लोगों को जलजमाव की स्थिति का सामना करना पड़ता है. इसका निवारण करने के लिए नप ने कोई कदम नहीं उठाया है.

    इसके लिए उपाय योजना करना जरूरी है. नप की अनदेखी का खामियाजा नागरिकों को भूगतना पड़ता है. इस संबंध में विकास गायकवाड़ ने बताया कि हर वर्ष बारिश में वैनगंगा और बाघ नदी में आई बाढ़ से हमारे गांव पर असर पड़ता है. पिछले वर्ष भी बाढ़ आने पर 10 दिन दुसरी जगह जाकर रहना पड़ा था. अतिवृष्टि होने पर बड़ी समस्या निर्माण होती है.

    इसी तरह देवीदास उमक का कहना है कि हमारा गांव बाघ नदी के किनारे होने से अतिवृष्टि होने पर हमारे गांव में पानी जमा हो जाता है. अनेक बार नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से गांव में बाढ़ की परिस्थिति निर्माण होती है. जिससे प्रशासन के माध्यम से हमे सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाता है.

    सबसे अधिक खतरे वाले स्थल

    जिले के धापेवाड़ा सिंचाई प्रकल्प, इटियाडोह, हाजराफाल, रजेगांव घाट आदि परिसर में हर वर्ष बारिश के दिनों में डुबकर मृत्यु होने की घटनाएं घटती है. इसमें विशेषकर पुल से पानी बहते समय यात्रा करना, डोह के निकट मस्ती करने जैसे कारणों से हर वर्ष घटनाएं होती है. जिससे इन खतरे वाले स्थानों पर जाते समय नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है. इन नदी में बाढ़ आने पर ओवरफ्लो होने के बाद नदी के किनारे वाले गांवों में पानी जमा होता है.

    बाढ़ प्रभावित चिन्हित 21 गांव नदी के किनारे से कुछ ही दूरी पर है. जिससे पानी की निकासी होने में जगह नहीं रहती है. उल्लेखनीय है कि गोंदिया जिले की सीमा मध्य प्रदेश से लगी है. मध्य प्रदेश के जलाशय से पानी छोडऩे पर इन दोनों नदी में बाढ़ आती है. जिससे गोंदिया व तिरोड़ा तहसील के 21 गांवों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है.