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गोंदिया. अनुदानित शाला की व्याख्या बदलने वाली व कर्मचारियों के जान पर बन आने वाली व पेंशन अधिकार को छिनने वाली 10 जुलाई की अधिसूचना रदद करने की मांग पुरानी पेंशन हक संगठन ने की है. महाराष्ट्र निजी शालाओं के कर्मचारियों के सेवा संदर्भ में महाराष्ट्र निजी शाला कर्मचारी (सेवा की शर्ते) नियमावली 1982 में नियम 2 उप नियम (1) के खंड (ब) में अनुदानित शाला की व्याख्या बदली जा रही है. इस पर पुरानी पेंशन हक संगठन ने आपत्ति दर्ज की है.

निवृत्तिवेतन के संबंध में मुख्य नियम के नियम क्र.19 व नियम 20 में 10 जुलाई को जारी किए नियम में दुरुस्ती की सूचना आई है. इस नियम का मसौदा अन्यायकारक है, नई परिभाषित अशदान निवृत्तिवेतन योजना राज्य शासन के वित्त विभाग के 31 अक्टूबर 2005 की अधिसूचना अनुसार लागू की गई है.

मुख्यमंत्री को भेजा निवेदन
इस अधिसूचना का रूपांतरण 15 वर्षों बाद कानून में करने के उद्देश्य से पूर्व प्रभाव की बजाए 1 नवंबर 2005 से लागू करने का जो मुद्दा बताया गया है. जिससे इस 15 वर्षों की अवधि में जिस शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की कोई भी कटौती नहीं की गई. उन्हें कुछ भी लाभ नहीं होगा, उस पर कोई विचार नहीं किया जाएगा, इस अन्यायकारक दुरुस्ती को व पूर्ण मुद्दे पर संगठन ने आपत्ति उठाई है. इसके स्थान पर 1 नवंबर 2005 का या उसके बाद बिना अनुदानित अशंत: अनुदानित अथवा अनुदानित प्राथमिक, माध्यमिक, कनिष्ठ महाविद्यालय व अध्यापक विद्यालय में पद पर नियुक्त हुए कर्मचारियों की निवृत्तिवेतन योजना 1982 व 1984 में सभी प्रावधान लागू किए जाए.

इसमें 10 जुलाई 2020 का मुददा पूर्णरूप से रद्द किया जाए, सभी कर्मचारी वर्ग को पुरानी निवृत्ति पेंशन योजना लागू करें, ऐसी मांग पुरानी पेंशन हक संगठन के कर्मचारियों ने की है. इस संबंध में मुख्यमंत्री, अपर मुख्य सचिव व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को पुरानी पेंशन हक  संगठन के जिला अध्यक्ष राज कढव, सचिव राठोड, प्रवीण सारगर, जितू गणवीर, मुकेश रहांगडाले, संदीप सूर्यवंशी, होमेंद चांदेवार, विलास लांजे, क्रांतिलाल पटले, सचिन धोपेकर, महेंद्र चौहान, सुनील चौरागडे, सुभाष सोनवने, संतोष रहांगडाले ने ज्ञापन भेजा है.