गोंदिया (का). सिकलसेल नियंत्रण कार्यक्रम के तहत स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से सिकलसेलग्रस्त व वाहक मरीजों का मार्गदर्शन कर समय समय पर उपचार किया जाता था. लेकिन 1 अप्रेल से यह सेवा बंद हो जाने से मरीजों का मार्गदर्शन नहीं हो रहा है. जिसके चलते समय पर उपचार न होने से मरीजों की जान खतरे में आ गई है. लाकडाउन के दौरान अप्रैल माह में ऐसे ही दो मरीजों ने दम तोड़ दिया.
गोंदिया जिले में दो वर्ष 2010 से एक निजी संस्था के माध्यम से जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वयंसेवकों को नियुक्त कर सिकलसेल मरीजों का मार्गदर्शन व उपचार किया जाता था. लेकिन सरकार द्वारा 1 अप्रैल से गोंदिया जिले सहित विदर्भ के नागपुर, भंडारा, गड़चिरोली, चंद्रपुर व वर्धा जिले में सिकलसेल संबंधित संस्थाओं की सेवा समाप्त कर दी. जिससे मरीजों की देखभाल व मार्गदर्शन सही तरीके से न होने के कारण अनेक मरीज दम तोड़ रहे है. उल्लेखनीय है कि गोंदिया में 1,143, सिकलसेलग्रस्त और 12,23 सिकलसेल वाहक मरीज है. इन सभी का फिलहाल मार्गदर्शन बंद है. जिससे उनकी जान आफत में आ गई है.
मरीजों ने लगाई गुहार
सिकलसेलग्रस्त व वाहक मरीजों के घर जाकर स्वयंसेवक उनका मार्गदर्शन कर उपचार किया करते थे लेकिन यह सेवा बंद होने से मरीज परेशानी में आ गए है. जिला स्वास्थ्य अधिकारी को सैकड़ों मरीजों ने ज्ञापन सांैपकर स्वयंसेवी संस्था की सेवा फिर से शुरु करने की मांग की है.