गोंदिया. बर्ड फ्लू संक्रमण से घबराने की बजाए सतर्कता आवश्यक है. इसका वायरस 70 अंश सेल्सीयस से अधिक तापमान पर जिंदा नहीं रहता है, इसके अलावा देश में पूर्ण खाद्यान्न पकाकर खाने की पध्दति होने से मुर्गी के मांस या अंडे खाना सुरक्षित है, पोल्ट्री शेड में पक्षी की देखभाल करते समय ध्यान देने की आवश्यकता है, विशेषकर जैव सुरक्षा का उपयोग करना जरुरी है. पहले चूजे के शेड को भेंट देकर बाद में बडे पक्षियों को रोज प्रवेश दे, शेड पर भेंट के लिए आने वाले लोगों का रजिस्टर में पंजीयन करें,
उन्होंने पूर्व में कोई भी पोल्ट्री शेड को भेंट नही दी इसकी खात्री करने के बाद शेड में प्रवेश दें, पोल्ट्री परिसर में आने वाले वाहनों को सैनिटाईज कर अंदर प्रवेश दें, शेड में काम करने वाले मास्क, हैंडग्लोज का उपयोग करें, अलग शेड के लिए अलग चप्पल का उपयोग व सेनिटाईजर का उपयोग करें, एक शेड के बर्तन का दुसरे शेड में प्रयोग न करें, पेड़ों की छटाई करना, जिससे मेहमान पक्षी या अन्य स्थानीय पक्षी उस पर नहीं बैठेंगे, इस पर भी ध्यान दें, पोल्ट्री शेड में सुरक्षा दीवार हो, इन बातों को ध्यान देने पर रोग को नियंत्रित करने में मदद होगी.
इसके लिए घबराने या अफवाह के शिकार होने की बजाए तत्थ्यों को जान लेना जरुरी है. कच्चा या आधे पके अंडे या मांस ना खाएं, इसी तरह पूर्ण पका मांस व कच्चा मांस एक साथ न रखें, पक्षियों के साथ व विष्ठा से संपर्क टाले, पक्षीगृह के उपयोग वाले बर्तन हर दिन डिटर्जेंट पावडर से स्वच्छ करें , कोई पक्षी मृत हो गया तो उस पक्षी को खुले हाथ से स्पर्श न करें, समस्या होने पर पशु वैद्यकीय अस्पताल से तत्काल संपर्क करे, कच्चे पोल्ट्री उत्पादन के साथ काम करते समय पानी व साबुन से बार बार हाथ धोए, इसके लिए व्यक्तिगत स्वच्छता व परिसर को स्वच्छ रखे. ऐसी जानकारी पंस पशुधन विकास अधिकारी गोंदिया ने दी.
मृत बगुला भोपाल की प्रयोगशाला में
राज्य में बर्ड फ्लू ने पांव पसार दिए है. जिससे नागरिकों में भय का वातावरण है. इसी बीच गोरेगांव तहसील के कुरहाडी में एक बगुला मृत पाए जाने पर पशु वैद्यकीय विभाग ने उसे जांच के लिए भोपाल प्रयोगशाला में भेज दिया है. पिछले दस महिनों से कोरोना का संकट कायम है. वहीं अब राज्य में बर्ड फ्लू के वायरस ने नागरिकों को हलाकान कर दिया है.
विभिन्न जिलों में यह वायरस फैल चुका है. निकट के भंडारा जिले में भी इस वायरस से एक मरीज पाया गया है. जिससे उस गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. इसी तरह गोरेगांव तहसील के ही हिरडामाली में अनेक कौए मृत पाए गए थे. इसमें बगले की मृत्यु किस कारण से हुई इसकी जानकारी प्रयोगशाला से अहवाल आने के बाद मिलेगी.