MNREGA
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  • जिलाधीश ने दिए जांच के आदेश

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गोंदिया. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से विकास कार्यों में ग्रामीणों को रोजगार मिलता हैं, किंतु मनरेगा कार्य में बड़ी राशि हासिल करने अधिकारी पीछे नहीं रहते हैं. योजना अंतर्गत कोरोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले अधिकारियों पर लगाम लगाने का प्रयास किया गया. जिले में वर्ष 2017-18 में 212 कार्यों में हेराफेरी की शिकायतें मिली हैं. जिसकी जांच करने के आदेश जिलाधीश ने दिए है. इसमें से 203 कार्यों की जांच पूर्ण हो गई है. जिसमें 12 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार जांच में दिखाई दिया.

3 सदस्यीय समिति गठित

मनरेगा अंतर्गत वन विभाग में वन तालाब व वनबांध का निर्माण किया जाता है. जिले में वर्ष 2017-18 में देवरी, अर्जुनी मोरगांव, सालेकसा, आमगांव व गोरेगांव इन 5 तहसीलों में मनरेगा कार्यों के भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए जिलाधीश ने 3 सदस्यीय समिति गठित की है. जिसमें उप विभागीय अभियंता, सहायक लेखाधिकारी व विस्तार अधिकारी का समावेश है. इसमें 113 कार्यों में 10 करोड़ 3 लाख 77 हजार 569 रुपये व उप वन संरक्षक ने 8 कार्यों की जांच की है. जिसमें 1 करोड़ 88 लाख 81 हजार 569 रुपये का फरक सामने आया है. इस तरह कुल 203 कार्यों की जांच पूर्ण हो गई है. जांच अहवाल के अनुसार 11 करोड़ 92 लाख 59 हजार 138 रु. की हेराफेरी की गई है. 

5 तहसीलों में फर्जीवाड़ा

जिले की 5 तहसीलों में मनरेगा के फर्जी कार्य हुए हैं. जिसमें देवरी तहसील सबसे आगे हैं. देवरी तहसील में 112 कार्य, अर्जुनी मोरगांव तहसील में 61 कार्य, सालेकसा तहसील में 36 कार्य, आमगांव तहसील में 2 कार्य व गोरेगांव तहसील में 1 कार्य की जांच की गई है. इसी तरह वन विभाग काम करता है किंतु इस काम के पैसे तहसीलदार देते हैं. वन क्षेत्राधिकारी के साथ ही तहसीलदार भी इस कार्य में आगे हैं. जिससे उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी क्या? ऐसा सवाल किया जा रहा है.