आमगांव. राज्य में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है, किंतु उसकी सरेआम धज्जियां उड़ रही है. तहसील के ग्रामीण क्षेत्र सहित शहर की पान पटपरी से बड़े व्यापारी व शादी विवाह से लेकर हर तरह के आयोजनों में बड़े पैमाने पर प्लास्टिक सामग्री का उपयोग हो रहा है. शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में पान ठेलों से लेकर किराना व्यापारियों तक प्लास्टिक की थैलियां, पन्नी उपयोग में लाई जा रही है. प्लास्टिक प्रतिबंध को 2 वर्ष हो गए, किंतु आज भी ऐसा लगता नहीं है कि प्रतिबंध है और बड़ी सरलता इसकी खरीदी-बिक्री चल रही हैं.
कार्रवाई सिर्फ दिखावा
विभिन्न पर्यावरण व स्वयं सेवी संगठनों के माध्यम से प्लास्टिक बंदी को लेकर जागरुकता अभियान चलाना संभव था इसके लिए विभिन्न कार्यशाला व अभियान को संचालित किया जा सकता था, इसी तरह राजनैतिक पार्टियों व सामाजिक संगठनों की मदद लेकर प्लास्टिक बंदी अभियान की जनजागृति गांव-गांव तथा नगर पंचायत स्तर पर करना जरूरी था, किंतु इस ओर किसी ने भी ध्यान देना जरूरी नहीं समझा.
कौन से प्लास्टिक पर प्रतिबंध है, कौन से नहीं, जिस पर प्रतिबंध है, उस पर उचित पर्याय क्या उपलब्ध है, यह सभी कार्य जनमानस तक पहुंचना सहज संभव था, इसके लिए कोई दूसरे पर्याय की खोज की जा सकती है क्या? इसका भी विचार नहीं किया गया. जिस उद्देश्य को लेकर प्लास्टिक बंदी लागू की गई है, वह उद्देश्य ही सफल होते दिखाई नहीं दे रहा है. इतना जरुर है कि प्रशासन के अधिकारी दिखावे के लिए कभी कभार दूकानों में छापामार कार्रवाई कर प्लास्टिक जब्ती करते है.