नयी दिल्ली. हर वर्ष कि तरह आज यानी14 अप्रैल को अम्बेडकर जी (Dr. Babasaheb Ambedkar) के हमारे भारत की स्वतंत्रता में अमूल्य योगदान के चलते अम्बेडकर जयंती मनाई जाती है। बता दें कि यह यह 14 अप्रैल 1891 का दिन था जब दलितों के हक की लड़ाई लड़ने वाला और भारत के संविधान के निर्माता भीमराव अंबेडकर का जन्म (Birtha) हुआ था। उनका जन्म मध्य प्रदेश के महु में हुआ था।
वहीं दूसरी तरफ आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्रे मोदी (Narendra Modi) ने भी भारत के संविधान के निर्माता भीमराव अम्बेडकर को देश के लिए उनके अमूल्य योगदान को याद कर उन्हें याद किया। आज अपने ट्वीट में उन्होंने श्रधांजलि देते हुए लिखा कि , “भारत रत्न डॉ। बाबासाहेब अम्बेडकर को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए किया गया उनका संघर्ष हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल बना रहेगा।”
भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए किया गया उनका संघर्ष हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल बना रहेगा।
I bow to the great Dr. Babasaheb Ambedkar on #AmbedkarJayanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2021
गौरतलब है कि साल 2015 से अम्बेडकर जयंती को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही उन्हें 31 मार्च 1990 को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया था। देखा जाए तो बाबासाहेब का जीवन सचमुच संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है। जिसको देखकर ही हमें नयी उर्जा मिलती है।
आइए पढ़ें उनके जीवन के अनमोल विचार:
- उन्होंने एक बार कहा था कि, “यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा।”
- इसके साथ ही उनके यह भी विचार थे कि, “जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते,कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिये पूरी तरह से बेमानी है।”
- समानता को लेकर भी उनके अद्भुत विचार थे। उन्होंने एक बार कहा था कि, “समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।”
- सामाजिक स्वतंत्रता पर उनका कहना था कि, “जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं करते हैं, तब तक कानून द्वारा जो भी स्वतंत्रता प्रदान की जाती है, उसका आपके लिए कोई लाभ नहीं है।”
- विचारों को लेकर वे बड़े सजग रहते थे। उन्होंने कहा भी था कि, “एक विचार को भी प्रसार की आवश्यकता होती है जितनी की पौधे को पानी की आवश्यकता होती है। नहीं तो दोनों मुरझा जाएंगे और मर जाएंगे।”
विश्व की सबसे अनोखी जगह, जहाँ इंसान के उछलने पर हिलने लगती है ज़मीन
Posted by NavaBharat on Tuesday, 13 April 2021