हर्षवर्धन ने डब्ल्यूएचओ कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर प्रभार संभाला

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नयी दिल्ली. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी जैसे एक विश्वव्यापी संकट ने वैश्विक जन स्वास्थ्य में निवेश को नयी ऊर्जा प्रदान कर वैश्विक साझेदारी मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ के 34 सदस्यीय कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर हर्षवर्धन ने ऐसे समय में प्रभार संभाला है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित कई देशों का नेतृत्व चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस की उत्पत्ति और इसके बाद बीजिंग की गतिविधियों की जांच करने की मांग कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ को ट्रंप के चेतावनी देने के बाद तनाव बढ़ गया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस वैश्विक स्वास्थ्य संस्था को यह चेतावनी दी थी कि यदि इसने अगले 30 दिनों में चीन से अपनी ‘स्वतंत्रता’ प्रदर्शित नहीं की, तो वह इसमें अमेरिकी सदस्यता पर पुनर्विचार करेंगे और इसे धन प्रदान करना स्थायी रूप से रोक देंगे। हर्षवर्धन ने जापान के हिरोकी नकातानी का स्थान लिया है। उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनिया भर में जान गंवाने वाले लाखों लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। हर्षवर्धन ने इस मौके पर उपस्थित सभी गणमान्य लोगों को कोविड-19 से निपटने के लिये अग्रिम मोर्चे पर तैनात सभी स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य कोरोना योद्धाओं के सम्मान में खड़े हो कर उनकी गरिमा, दृढ़ निश्चय और समर्पण को करतल ध्वनि के साथ सलाम करने का अनुरोध किया।

डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर हर्षवर्धन को वर्ष 2020-21 के लिये चुना गया है। उन्हें वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई बोर्ड की एक बैठक के 147 वें सत्र के दौरान चुना गया। कार्यकारी बोर्ड में भारत द्वारा नामित व्यक्ति को नियुक्त करने के प्रस्ताव पर 194 देशों के विश्व स्वास्थ्य सभा ने मंगलवार को हस्ताक्षर किया था। पिछले साल सितंबर में डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया के 72 वें क्षेत्रीय समिति सत्र में सदस्य राष्ट्रों ने क्षेत्र से बोर्ड के सदस्य के रूप में भारत को नामित किया था। साथ ही, बोर्ड के 147 वें और 148 वें सत्र का नेतृत्व करने के लिये भी भारत को नामित किया था।

दरअसल, बोर्ड के सदस्य के रूप में श्रीलंका का कार्यकाल मई 2020 में समाप्त हो गया, जिसकी जगह भारत ने ली है। हर्षवर्धन को बधाई देते हुए डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, ‘‘डॉ. हर्षवर्धन ने एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण वक्त में यह पदभार संभाला है। मैं उन्हें कार्यकारी बोर्ड का संचालन करने की शुभकामना देता हूं क्योंकि इस वक्त यह महामारी और अन्य जन स्वास्थ्य के मुद्दों से निपट रहा है।” उन्होंने कहा, ‘‘डॉ. हर्षवर्धन का जन स्वास्थ्य में एक लंबा अनुभव है। वह भारत के सफल ‘पल्स पोलियो’ कार्यक्रम के अग्रदूत रहे हैं और तंबाकू एवं कई अन्य मुद्दों के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर रहे हैं। विश्व अब उनकी विशेषज्ञता और अनुभव का फायदा उठा सकता है।” हर्षवर्धन मई 2021 में कार्यकारी बोर्ड की बैठक में अन्य डब्ल्यूएचए क्षेत्र के अगले अध्यक्ष को इस पद की जिम्मेदारी हस्तांतरित करेंगे। हालांकि, वह 2023 तक बोर्ड के सदस्य बने रहेंगे। कार्यकारी बोर्ड में डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र से अन्य देशों में बांग्लादेश (2019-22) और इंडोनेशिया (2018-21) हैं। बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर पदभार संभालने के बाद हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘आप सभी के विश्वास से मैं बहुत ही सम्मानित महसूस कर रहा हूं। भारत और मेरे सभी देशवासियों को भी यह विशेष अनुभूति हो रही है कि हमें यह सम्मान दिया गया है।”

उन्होंने कहा कि कोविड-19 एक बहुत बड़ी मानव त्रासदी है और अगले दो दशकों में ऐसी कई चुनौतियां देखने को मिल सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये सभी चुनौतियां एक साझा प्रतिक्रिया की मांग करती है क्योंकि ये साझा खतरे हैं, जिन पर कार्रवाई करने की साझा जिम्मेदारी की जरूरत है।” उन्होंने कहा, ‘‘यह डब्ल्यूएचओ सदस्य देशों के हमारे गठजोड़ का मूल सिद्धांत है। हालांकि, इसके लिये राष्ट्रों के साझा आदर्शवाद की बहुत अधिक जरूरत है।” हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘इस महामारी ने हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की तैयारी एवं मजबूती को नजरअंदाज करने के परिणामों के बारे में अत्यधिक जागरूक किया है। वैश्विक संकट के ऐसे वक्त में जोखिम प्रबंधन और उसके न्यूनीकरण के लिये वैश्विक जन स्वास्थ्य में रूचि एवं निवेश को नयी ऊर्जा देने के वास्ते वैश्विक साझेदारी को और अधिक मजबूत करने की जरूरत होगी।” हर्ष वर्धन ने कोविड-19 पर काबू पाने के भारत के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि भारत में संक्रमण से मृत्यु दर केवल तीन प्रतिशत है। 135 करोड़ की आबादी वाले देश में कोविड-19 के सिर्फ एक लाख मामले हैं। संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने की दर 40 प्रतिशत से अधिक है और मामले दोगुना होने की अवधि 13 दिन है। कार्यकारी बोर्ड में 34 सदस्य होते हैं जो स्वास्थ्य विशेषज्ञ होते हैं। बोर्ड की साल में कम से कम दो बार बैठक होती है।

मुख्य बैठक आम तौर पर जनवरी में होती है जबकि दूसरी बैठक अपेक्षाकृत छोटी होती है और मई में होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के नए अध्यक्ष होने के नाते डॉ हर्ष वर्धन ने शताब्दियों से मानवता को नुकसान पहुंचा रहे रोगों के बारे में अधिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक संसाधनों का उपयोग करते हुए एक दूसरे का पूरक बनने के लिए मिलकर सहयोग करने, रोगों के कारण होने वाली मौतों में कमी लाने का कहीं अधिक प्रभावी और आक्रामक खाका तैयार करने से इन रोगों का उन्मूलन किया जा सकता है, दवाइयों और टीके की वैश्विक कमी के समाधान और सुधारों की आवश्यकता पूरी करने के लिए एक नया खाका तैयार करने की आवश्यकता है।

हर्ष वर्धन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इस सिद्धान्त में विश्वास करता है कि बिना किसी जाति, धर्म, राजनीतिक झुकाव, आर्थिक और सामाजिक स्थिति के भेदभाव के प्रत्येक मानव के मूल अधिकारों में एक स्वास्थ्य के सर्वोत्तम मानक प्राप्त करना है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसलिए जनस्वास्थ्य के दायित्वों के कुशल, प्रभावी और संवेदनशील निर्वहन के लिए सदस्य देशों; संगठन और साझेदारों के वैश्विक समुदाय के साथ काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता हूं।”

उल्लेखनीय है कि हर्ष वर्धन विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोलियो उन्मूलन पर महत्वपूर्ण विशेषज्ञ सलाहकार समूह और वैश्विक तकनीकी परामर्श समूह जैसी कई प्रतिष्ठित समितियों के सदस्य भी रहे हैं। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार के रूप में भी कार्य किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के मुख्य कार्यों में स्वास्थ्य सभा के निर्णयों और नीतियों का कार्यान्वयन और इसके काम में सलाह और सहायता देना है। (एजेंसी)