नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को उनके जन्म-शताब्दी वर्ष में याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज बुलंद करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ने वाले इस ‘‘राजनेता” ने ‘‘एक नाजुक दौर” में देश का नेतृत्व किया। आकाशवाणी पर प्रसारित मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात 2.0′ की 13वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने राव को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और जनता से उनके जीवन और विचारों के बारे में ज्यादा-से-ज्यादा जानने का प्रयास करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘देश आज अपने एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दे रहा है, जिन्होंने एक नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया। जब हम नरसिम्हा राव के बारे में बात करते हैं तो स्वाभाविक रूप से राजनेता के रूप में उनकी छवि हमारे सामने उभरती है।”
प्रधानमंत्री ने राव को देश के सबसे अनुभवी नेताओं में एक बताया और कहा कि वे भारतीय मूल्यों में रचे बसे थे। उन्होंने कहा कि राव अपनी किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे और जब हैदराबाद के निजाम ने ‘वन्दे मातरम्’ गाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था तब उनके ख़िलाफ़ आंदोलन में राव ने भी सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उस समय, उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी | छोटी उम्र से ही नरसिम्हा राव अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज उठाने में आगे थे | अपनी आवाज बुलंद करने में वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते थे।”
बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से उठकर देश की बागडोर संभालने वाले राव के सफर को याद करते हुए मोदी ने आग्रह किया कि उनके जन्म-शताब्दी वर्ष में लोगों को उनके जीवन और विचारों के बारे में ज्यादा-से-ज्यादा जानने का प्रयास करना चाहिए। राव का जन्म अविभाजित आंध्र प्रदेश के करीमनगर में 28 जून 1921 को हुआ था। साल 1991 से लेकर 1996 तक देश के प्रधानमंत्री रहे राव का 23 दिसंबर 2004 को निधन हो गया।(एजेंसी)