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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि जब कोरोना संकट सामने आया तो भारत में इससे होने वाले नुकसान को लेकर बड़े-बड़े विशेषज्ञ तमाम तरह की आशंकाएं प्रकट कर रहे थे, लेकिन यहां के लोगों ने इस संकट का मजबूती से मुकाबला कर उनकी तमाम आशंकाओं को निर्मूल साबित कर दिखाया। मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र के सामाजिक, धार्मिक और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद स्थापित करते हुए कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए और इससे अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने के लिए उत्तर प्रदेश की भी सराहना की। प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के परिणाम स्वरूप देश भर में लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश व वाराणसी में किए गए विभिन्न संगठनों के सेवा भाव को ‘‘अभूतपूर्व” बताया और संकट काल में लोगों तक भोजन एवं अन्य तरह की सहायता पहुंचाने के लिए सरकार के विभागों की जम कर प्रसंशा की।

उन्होंने कहा, ‘‘आपने सुना होगा 100 साल पहले ऐसी ही भयानक महामारी हुई थी। तब भारत में इतनी जनसंख्या नहीं थी। कम लोग थे। लेकिन उस समय उस महामारी में दुनिया में जहां सबसे अधिक लोग मारे गए, उसमें हमारा हिंदुस्तान भी था। करोड़ों लोग मर गए थे।” मोदी ने कहा कि इसलिए जब इस बार महामारी आई तो सारी दुनिया भारत को लेकर आशंकित हो गई। लोगों को डर लगता था कि 100 साल पहले भारत में इतनी बर्बादी हुई थी, इतने लोग मरे थे, तो आज भारत की क्या स्थिति होगी जबकि आबादी इतनी है और साथ में चुनौतियों का अंबार भी है। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े विशेषज्ञ यह कह रहे थे और भारत पर सवाल खड़ा करने लगे थे कि इस बार भी हालत बिगड़ जाएगी। लेकिन क्‍या स्थिति बनी। उन्होंने कहा, ‘‘23-24 करोड़ की आबादी वाले हमारे उत्तर प्रदेश को लेकर लोगों की ढेर सारी आशंकाएं थी। ये कैसे बचेगा। कोई कहता था प्रदेश में गरीबी बहुत है। यहां बाहर काम करने गए श्रमिक कामगार बहुत हैं। दो गज की दूरी का पालन कैसे कर पाएंगे? कोरोना से नहीं, तो भूख से मर जाएंगे?” प्रधानमंत्री ने कहा कि जनता के सहयोग और उत्तर प्रदेश के लोगों के परिश्रम व पराक्रम ने सारी आशंकाओं को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि ब्राजील जैसे बड़े देश में जिसकी आबादी करीब 24 करोड़ है, वहां कोरोना से 65 हजार से ज्यादा लोगों की दुखद मृत्यु हुई है। लेकिन उतनी ही आबादी वाले उत्तर प्रदेश में करीब-करीब 800 लोगों की मृत्यु कोरोना से हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘यानि उत्तर प्रदेश में कोरोना से हजारों जिंदगियां, जिसकी मरने की संभावना दिखाई जाती थी, उनको बचा लिया गया है। आज स्थिति ये है कि उत्तर प्रदेश ने न सिर्फ संक्रमण की गति को काबू में किया हुआ है बल्कि जिन्हें कोरोना हुआ है, वो भी तेज़ी से ठीक हो रहे हैं।” अपने संसदीय क्षेत्र की जनता से संवाद में मोदी ने वाराणसी को ‘‘आत्मनिर्भर भारत” अभियान के एक बड़े केंद्र के रूप में विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले समय में काशी को आत्मनिर्भर भारत अभियान का भी एक बड़ा केंद्र बनते हुए हम सभी देखना चाहते हैं। यह हम सभी की जिम्मेदारी भी है।”

मोदी ने कहा कि सरकार के हाल के फैसलों के बाद यहां की साड़ियां, यहां के दूसरे हस्तशिल्प, यहां के डेयरी, मत्स्य पालन व मधुमक्खी पालन के व्यवसाय के लिए नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसानों और युवा साथियों से आग्रह करूंगा कि इस प्रकार के व्यवसाय में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। हम सभी प्रयास करें कि काशी को हम आत्मनिर्भर भारत के प्रेरक स्थली के रूप में विकसित करें।” उन्होंने कहा कि तमाम व्यस्तताओं के बावजूद कोरोना संकट काल के दौरान वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सरकारी अधिकारियों और स्थानीय लोगों के संपर्क में लगातार बने रहे और काशी का हाल-चाल लेते रहे। मोदी ने कहा, ‘‘इस संकट का काशी ने अभूतपूर्व मुकाबला किया। कितनी भी बड़ी आपदा क्यों न हो, काशी के लोगों की जीवटता का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। जो शहर दुनिया को गति देता हो, उसके सामने कोरोना क्या चीज है, यह आपने दिखा दिया।”

प्रधानमंत्री ने हाल ही में वाराणसी में चल रहे विकास कार्यो की समीक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि इस समय काशी में ही लगभग 8000 करोड़ के अलग-अलग काम तेजी से चल रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि जैसे ही स्थितियां सामान्य होगी, काशी भी उतनी ही तेजी से अपने पुराने गौरव की और लौटेगी। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से अपनी कुछ आदतें बदलने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘दो गज की दूरी, गमछे या फेस मास्क पहनना और हाथ धोने की आदत को ना तो हमें छोड़ना है और ना ही किसी को छोड़ने देना है। अब इसको हमारा संस्कार बना देना है।”(एजेंसी)