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 नयी दिल्ली. बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Demolition Case) मामले में सीबीआई (CBI) अदालत द्वारा 32 आरोपियों को बरी किया जाना न्यायमूर्ति एम एस लिब्रहान आयोग के परिणाम के उलट है । आयोग ने कहा था कि पूर्व नियोजित तैयारी के तहत ढांचा को गिराया गया था। आयोग ने इस दलील को खारिज कर दिया था कि कारसेवकों ने अचानक ही यह कदम उठाया जबकि सीबीआई अदालत ने कहा है कि ऐसे कोई सबूत नहीं है कि ढांचा गिराने के पीछे कोई षड्यंत्र था।

न्यायमूर्ति लिब्रहान के एक सदस्यीय आयोग का गठन 16 दिसंबर 1992 को किया गया था। आयोग को उन कारणों, तथ्यों और हालात की जांच करने की जिम्मेदारी दी गयी थी, जिसके कारण अयोध्या में ढांचा को गिराया गया। आयोग ने 100 से ज्यादा गवाहों से पूछताछ की और 17 वर्ष बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी थी । अपनी रिपोर्ट में आयोग ने विवादित ढांचा गिराए जाने में मदद और इसे अंजाम देने के लिए संघ परिवार और आएसएस पर दोष मढ़ा था।