नयी दिल्ली.वीर सवारकर को एक तरफ जहाँ देश एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सम्मान देता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्केण्डेय काटजू ने वीर सावरकर की जयंती मनाए जाने पर अपना ऐतराज जताते हुए कहा कि वह सम्मान के लायक नहीं और उन्होंने सिर्फ मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाई और ब्रिटिश साम्राज्य की बांटो और राज करो की नीति को आगे बढ़ाया।
Today is Savarkar’s birth anniversary. Since some people have praised.him on twitter, I would like to say that he became a shameless British agent, preaching hatred against Muslims, which furthered the British policy of divide and rule.
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— Markandey Katju (@mkatju) May 28, 2020
दरअसल गुरूवार को काटजू ने अपने ट्वीट में लिखा कि “कुछ लोग सावरकर की तारीफ कर रहे हैं। मैं कहना चाहता हूं कि वह एक बेशर्म ब्रिटिश एजेंट था, जिसने मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाई और ब्रिटिश साम्राज्य की बांटो और राज करो की नीति को आगे बढ़ाया।” वहीं अपने ब्लॉग में उन्होंने लिखा कि “कई लोग सावरकर को एक महान स्वतंत्रता सेनानी मानते हैं, लेकिन उनके बारे में क्या असलियत थी? जबकि सत्य यह है कि ब्रिटिश राज के दौरान ब्रिटिश ताकतों ने कई राष्ट्रवादियों को गिरफ्तार कर लंबी सजाएं दे दीं। जेल में ब्रिटिश उन्हें प्रस्ताव देते थे कि या तो हमारे साथ मिल जाओ, फिर हम तुम्हें आजाद कर देंगे या फिर पूरी जिंदगी जेल में ही सड़ते रहो।”
काटजू यही पर नहीं रुके और उन्होंने यब भी कहा कि सावरकर समेत कई अन्य ब्रिटिशों के साथ मिल गए थे। उनका कहना था कि सावरकर सिर्फ 1910 तक ही राष्ट्रवादी थे, जब वे गिरफ्तार हुए थे और उन्हें दो उम्रकैद की सजाएं भी हुईं थी । काटजू का कहना है कि “जेल में 10 साल की सजा काटने के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें अपने साथ मिल जाने का प्रस्ताव दिया, जिसे सावरकर ने मान लिया। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने हिंदू संप्रादायिकता अपना ली और ब्रिटिश एजेंट बन गए, जो कि ब्रिटेन की बांटों और राज करो की नीति आगे बढ़ा रहे थे।”
काटजू ने यह आरोप भी लगाया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तब सावरकर राजनीति के हिंदुत्वीकरण की बात कह रहे थे और युद्ध में ब्रिटेन का साथ देने के लिए हिंदुओं को मिलिट्री ट्रेनिंग देने की मांग कर रहे थे। यही नहीं जब कांग्रेस का 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो अभियान शुरू हुआ तो सावरकर ने इसकी कड़ी आलोचना की और हिंदुओं से ब्रिटिश सरकार की अवहेलना न करने की अपील की। यही नहीं सावरकर ने यह अपील भी हिन्दुओं से की थी , कि वे सेना में नाम लिखवायें और युद्ध कलाओं में पारंगत हो। काटजू का कहना है कि यह अपील सिर्फ हिंदुओं को ध्यान में रखकर की गयी थी।