UP: Dispute between two groups in Kasauli village, security increased

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नयी दिल्ली. पुलिस ने बुधवार को कहा कि उसे एक समाचार पत्रिका से एक शिकायत मिली है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में भीड़ ने उसके तीन पत्रकारों के साथ मारपीट की। वहां वे फरवरी में हुए दंगों की रिपोर्टिंग के सिलसिले में गये थे। शिकायत में कहा गया है कि इन तीन पीड़ित पत्रकारों में एक महिला पत्रकार भी शामिल हैं। ‘कारवां” पत्रिका ने कहा कि घटना मंगलवार दोपहर की है। संयुक्त पुलिस आयुक्त (पूर्वी क्षेत्र) आलोक कुमार ने कहा, ‘‘हमें दोनों पक्षों (पत्रिका और स्थानीय लोगों) की ओर से शिकायतें मिली हैं।” बाद में पुलिस ने एक बयान में कहा कि थाने को मिली तमाम सूचनाओं के आधार पर मामले की विस्तृत जांच की जाएगी।

पत्रिका के हिंदी संस्करण के ट्विटर हैंडल ने बुधवार को सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘कल दोपहर उत्तर पूर्वी दिल्ली के सुभाष मोहल्ले में पुरूषों और महिलाओं के एक समूह ने कारवां के तीन पत्रकारों को रिपोर्टिंग करने से रोकने के उद्देश्य से उनके साथ मारपीट की, इनमें एक महिला भी है। ” पत्रिका ने आरोप लगाया कि भीड़ ने शाहिद तंत्री, प्रभजीत सिंह और महिला पत्रकार के साथ मारपीट की, जान से मारने की धमकी दी और सांप्रदायिक टिप्पणियां कीं। पत्रिका ने एक बयान में कहा कि पत्रकार वहां इलाके में लगाए गए भगवा झंडों की तस्वीरें ले रहे थे, लेकिन कुछ लोग वहां आए और उन्हें रोकने लगे। मामला यहां से शुरू हुआ। बयान में दावा किया गया है, ‘‘उनमें से एक ने भगवा कुर्ता पहना था और उसके हाथ में पट्टी लगी थी। वह खुद को भाजपा का महासचिव बता रहा था। उसने तंत्री से पहचानपत्र मांगा। भीड़ को तंत्री के मुसलमान होने का एहसास होने पर उन्होंने हमला कर दिया।”

बयान में आरोप लगाया गया है, जब सिंह ने बचाने का प्रयास किया तो भीड़ ने उन्हें भी पीटा। बयान में कहा गया है, ‘‘भीड़ ने पत्रकारों का कैमरा तोड़ने की धमकी दी। इस पर तंत्री ने ली गई सभी तस्वीरें डिलिट करने की पेशकश की। उन्होंने हमलावरों के सामने ऐसा किया भी। लेकिन जब भीड़ कैमरा तोड़ने पर उतारू हो गई तो तंत्री ने उसका मेमोरी कार्ड उन्हें दे दिया।” बयान में आरोप है, ‘‘सिंह को याद है कि खुद को भाजपा पदाधिकारी बताने वाले ने इनसे कहा कि ये उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।” दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रभारी अशोक गोयल ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता ऐेसे काम नहीं करते हैं।

गोयल ने कहा कि हम इस घटना की निंदा करते हैं। कारवां ने अपने बयान में दावा किया है कि हमले से भागने का प्रयास कर रही महिला पत्रकार के साथ एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने छेड़खानी की। और बाद में भीड़ ने उन पर भी हमला किया। कारवां के कार्यकारी संपादक विनोद जोस का कहना है कि उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हिंसा पर रिपोर्ट करने गए कारवां के तीन पत्रकारों पर मंगलवार को हुआ हमला पत्रकारिता और निष्पक्ष तथा स्वतंत्र रिपोर्टिंग पर हमला है। देर शाम पुलिस ने एक बयान में कहा कि कारवां के पत्रकार तस्वीरें ले रहे थे, जिसे लेकर उनके और स्थानीय लोगों के बीच कहासुनी हो गई। पुलिस ने कहा, ‘‘पुलिस तुरंत कार्रवाई करते हुए मीडियाकर्मियों को वहां से निकालकर थाने ले आयी। बिना मर्जी के तस्वीरें लेने से वहां मौजूद लोग नाराज हो सकते हैं, इससे कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है और साम्प्रदायिक दिक्कतें भी पैदा हो सकती हैं।” पुलिस प्राप्त शिकायत पर कानून के अनुरुप कार्रवाई करेगी।