photo credit twitter ANI
photo credit twitter ANI

    Loading

    महाराष्ट्र: महाराष्ट्र (Maharashtra) में सियायत का हाईवोल्टेज ड्रामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन कुछ नया देखा जा रहा है। एक तरफ जहां पर सीएम उद्धव का खेमा सरकार बचाने में जुटी है। तो वहीं दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे गुट लगातार अपने ताकत का परिचय दे रही है, जो दर्शाता है कि उनके पास विधायकों का समर्थन से ज्यादा है। इसी कड़ी में एक बार फिर एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी (Guwahati) में मौजूद विधायकों का एक ग्रुप फोटो और वीडियो सामने आई है। जिसमें गुवाहाटी के रैडिसन ब्लू होटल में एकनाथ शिंदे के साथ महाराष्ट्र के 42 बागी विधायक, जिनमें से शिवसेना के 35 और 7 निर्दलीय विधायक एक साथ देखे गए हैं। वीडियो में बागी विधायक “शिंदे साहब तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं” के नारे लगा रहे हैं।

    बता दें कि महाराष्ट्र में मचे इस सियासी हलचल के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भावनात्मक अपील करने और इस्तीफा देने की पेशकश के साथ ही बुधवार रात अपना आधिकारिक आवास खाली कर दिया था। लेकिन उसके बाद भी विधायकों पर कोई असर नहीं पड़ा। विधायक एकनाथ शिंदे के साथ मौजूद हैं। वहीं इस बीच शिवसेना ने जो गुरुवार को जो मीटिंग बुलाई गई थी उसमें पार्टी की तरफ से सिर्फ 12 विधायक शामिल हुए पहुंचे हैं। बता दें कि शिवसेना के 55 विधायक हैं।

    उद्धव की मीटिंग में शामिल होने वाले नेता 

    अजय चौधरी, रवींद्र वायकर, राजन साळवी, वैभव नाईक, नितीन देशमुख, उदय सामंत, सुनील राऊत, सुनील प्रभू, दिलीप लांडे, राहुल पाटील, रमेश कोरगावकर, प्रकाश फातरपेकर, आदित्य ठाकरे बाकी अन्य विधायक नदारद रहे।

    शिवसेना विधायकों का पत्र

    इसी सियासी हलचल में यह भी बात साफ़ हो गई कि आखिर क्या मज़बूरी थी, जिसने शिवसेना में बगावत के सुर बुलंद कर दिए। दरअसल एकनाथ शिंदे की  कैंप ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम पत्र लिखा है। जिसमें लिखा है, जब हिंदुत्व और राम मंदिर पार्टी के लिए अहम मुद्दे हैं तो पार्टी ने हमें अयोध्या जाने से क्यों रोका। आदित्य ठाकरे की अयोध्या यात्रा के दौरान विधायकों को बुलाया गया और अयोध्या जाने से रोका गया। 

    हम मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाते थे लेकिन हमारे ‘असली विपक्ष’ कांग्रेस और NCP के लोगों को उनसे मिलने का मौका मिलता था और यहां तक कि उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्रों में काम के लिए धन भी दिया जाता था। राज्य में शिवसेना का CM होने के बावजूद पार्टी के विधायकों को वर्षा बंगला (मुख्यमंत्री आवास) जाने का अवसर नहीं मिला। CM के आसपास के लोग तय करते थे कि हम उनसे मिल सकते हैं या नहीं। हमें लगा हमारा अपमान किया गया है।