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    नई दिल्ली: अयोध्या (Ayodhya) के तपस्वी छावनी के जगद्गुरु परमहंसाचार्य (Jagatguru Paramhans Acharya) ने आरोप लगाया है कि, उन्हें आगरा (Agra) में जाने से रोका गया है। उनका कहना है कि, भगवा पहने होने की वजह से उन्हें ताजमहल (Taj Mahal) में जाने से रोका गया। वहीं, अफसरों का इस मामले में कहना है कि जगद्गुरु को लोहे का ब्रह्मदंड अंदर ले जाने से मना किया गया था।

    मिली हुई जानकारी के अनुसार, परमहंसाचार्य (Jagatguru Paramhans Acharya) के शिष्य के पास ताज महल में प्रवेश करने का टिकट था। जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने सीआईएसएफ जवानों को टिकट होने की बात भी बताई। लेकिन, इसके बाद भी उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। इसके बाद उनके टिकट वहां मौजूद अन्य पर्यटकों को देकर उनके पैसे वापस लौटा दिए गए।

     इस घटना के बाद संत जगद्गुरु परमहंसाचार्य (Jagatguru Paramhans Acharya) सभी को आशीर्वाद देकर वहां से वापस अयोध्या लौट गए। हालांकि, संतों का अपमान होने पर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनसे क्षमा भी मांगी है।

    मालूम हो कि, अयोध्या के तपस्वी छावनी से जुड़े संत परमहंस (Jagatguru Paramhans Acharya) धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा पर आगरा पहुंचे थे। संत परमहंस के अनुसार, उन्हें इसलिए ताजमहल में प्रवेश नहीं दिया गया, क्योंकि उन्होंने भगवा कपड़े पहने थे और उनके हाथो में धर्म दंड था। हालांकि, बाद में उन्हें बिना धर्म दंड के प्रवेश की इजाजत दी गई, लेकिन उन्होंने ताजमहल गेट के भीतर प्रवेश करने से मना कर दिया। 

    संत परमहंस (Jagatguru Paramhans Acharya) को बताया गया कि, ताजमहल के अंदर किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधियां प्रतिबंधित है। इस बात पर संत ने सवाल उठाते हुए कहा कि, ताजमहल के भीतर एक खास तबके को नमाज तक की अनुमति है। लेकिन हमें भगवा कपड़े पहनने और धर्म दंड लिए होने के कारण अंदर जाने की अनुमति क्यों नहीं मिली!

    ताजमहल के रखरखाव की जिम्मेदारी संभाल रहे पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानि एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने इस मामले में जांच करने की बात की है। उनका कहना है कि, जानकारी के अनुसार, संत लोहे का दंड ले जा रहे थे, जिसके कारण उन्हें प्रवेश की इजाजत शायद नहीं मिली। हालांकि, इसके बाद उन्हें दंड को प्रवेश द्वार पर रखकर अंदर जाने को कहा गया। लेकिन, उन्होंने भीतर जाने से साफ़ इंकार कर दिया। भगवा कपड़े को लेकर उन्हें नहीं रोका गया। 

    वहीं, इस मामले में संत परमहंस कहते हैं कि, धर्म दंड लोहे का नहीं, बल्कि बांस और खास लकड़ी से बना होता है और मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित होता है।