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    नई दिल्ली/वडोदरा. आज भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने पीड़ितों को अबतक मुआवजा न देने पर अपनी नाराजगी जताई है। इस बाबत आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि, मुआवजे के लिए 50 करोड़ का फंड जस का तस है। इसका यह साफ़ मतलब है कि पीड़ितों को मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में क्या इसकी जिम्मेदार क्या केंद्र सरकार है? 

    गौरतलब है कि, केंद्र सरकार की ओर से AG ने कहा- वेलफेयर कमिश्नर सुप्रीम कोर्ट की योजना के अनुसार ही काम कर रहा है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए कहा- फिर पैसा अब तक क्यों नहीं बांटा गया?

    जान लें कि, बीते साल नवंबर को भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बताया था कि, आगामी 10 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त मुआवजे की सुनवाई में मप्र सरकार पीएम को चिट्‌ठी को लिखें। ताकि, पांच लाख 21 हजार गैस पीड़ितों को उनका सही मुआवजा मिल सके। यूनियन कर्बाइड और डाव केमिकल से प्रत्येक पीड़ित को 6 लाख रुपए मुआवजा मिलना चाहिए। इस हिसाब से 96 अरब की जगह 646 करोड़ रुपए का इसमें मुआवजा दिया जाए।

    बता दें कि 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली मिथाइल आइसोनेट गैस रिसने से 3000 से अधिक लोग मारे गए थे। वहीं इस हादसे में लाखों लोग भी प्रभावित हुए थे। इस जहरीली गैस के रिसाव के चलते बड़ी संख्या में लोग बीमारियों का शिकार हो गए थे, जो बीमारियों के इलाज के लिए पर्याप्त मुआवजे की लंबे समय से मांग भी कर रहे थे।