ओडिशा के बाद सिक्किम में अकेले ताल ठोकेगी BJP; SKM के साथ तोड़ा गठबंधन, अकेली लड़ेगी विधानसभा और लोकसभा चुनाव

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गंगटोक: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सिक्किम में सत्तारूढ़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) के साथ अपना गठबंधन शनिवार को तोड़ दिया और घोषणा की कि पार्टी हिमालयी राज्य में एकसाथ होने वाले लोकसभा (Lok Sabha Elections 2024) और विधानसभा चुनाव (Sikkim Assembly Elections 2024) अकेले लड़ेगी। दूसरी ओर, एसकेएम ने 2019 के चुनाव के बाद की व्यवस्था की तर्ज पर भाजपा के साथ चुनाव के बाद गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं किया। आगामी चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डी आर थापा ने की, जो एसकेएम के साथ सीट बंटवारे पर दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ बैठक में भाग लेने के बाद सिक्किम लौटे थे।

थापा ने राज्य लौटने पर रंगपो में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “एसकेएम के साथ गठबंधन समाप्त हो गया है।” उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार के खिलाफ स्वतंत्र कार्रवाई और सिक्किम के विकास के लिए केंद्रित प्रतिबद्धता का एक नया युग शुरू हो गया है…गठबंधन का टूटना राज्य के लोगों के हितों की पूर्ति करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करता है।” थापा ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से कहा कि राज्य इकाई राज्य की सभी 32 विधानसभा सीट और लोकसभा की एकमात्र सीट पर अपने दम पर चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।

घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, एसकेएम नेता एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव जैकब खालिंग राय ने कहा, “पिछले चुनाव में हमने भाजपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं किया था, लेकिन हमने चुनाव के बाद देश और राज्य के हित में गठबंधन किया। इस बार भी इससे इंकार नहीं किया जा रहा।” उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने के फैसले पर आगे बढ़ने के लिए भाजपा को बधाई भी दी।  सूत्रों ने कहा कि सीट बंटवारे पर एसकेएम और भाजपा के बीच बातचीत तब टूट गई जब मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने भाजपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि तमांग ने हाल ही में भाजपा नेताओं के साथ सीट-बंटवारे पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी का दौरा किया था, लेकिन बात नहीं बन पाई।

भाजपा और एसकेएम दोनों अगले कुछ दिनों के भीतर अपने उम्मीदवारों की सूची की घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि पहले दोनों दलों के गठबंधन में चुनाव लड़ने की उम्मीद थी, लेकिन एसकेएम ने इस मुद्दे पर ठंडे रुख अपनाया, क्योंकि उसे डर था कि विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट और सिटीजन एक्शन पार्टी केंद्र द्वारा संविधान के अनुच्छेद 371एफ को कथित तौर पर कमजोर करने पर सिक्किम के अधिकारों को लेकर लड़ाई को बढ़ावा दे सकते हैं।  अनुच्छेद 371एफ राज्य को विशेष दर्जे की गारंटी देता है और उसके पुराने कानूनों की रक्षा करता है जो 1975 में राज्य के भारतीय संघ में विलय से पहले मौजूद थे।

भाजपा और एसकेएम, दोनों पार्टियों ने 2019 का चुनाव अलग-अलग लड़ा था, जिसमें एसकेएम ने 17 सीटें जीती थीं और सरकार बनाई थी। दूसरी ओर, भाजपा को दो प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे और एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। हालांकि एसडीएफ से दलबदल के बाद भाजपा के विधायकों की संख्या अचानक 10 हो जाने के बाद दोनों पार्टियों (भाजपा और एसकेएम) ने चुनाव बाद गठबंधन किया। एसडीएफ के दो विधायक भी एसकेएम में शामिल हो गए, जिससे उसकी संख्या बढ़कर 19 हो गई। इसके बाद भाजपा ने दो विधानसभा उपचुनाव लड़ा और दोनों पर जीत हासिल कर अपनी सीटें 12 तक बढ़ा लीं। सिक्किम में अपना प्रभाव बढ़ाते भाजपा के उम्मीदवार डी टी लेप्चा ने राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट भी जीत ली।  

(एजेंसी)