केएस ईश्वरप्पा (File Photo)
केएस ईश्वरप्पा (File Photo)

भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक के बागी नेता केएस ईश्वरप्पा पर कड़ी कार्रवाई उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। बीजेपी के वरिष्ठ नेता ईश्वरप्पा ने राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया था और बेटे को हावेरी से टिकट देने की मांग की थी। लेकिन बीजेपी से उनके बेटे को टिकट नहीं मिलने के वजह से वह बागी हो गए और निर्दलीय चुनाव में उतरने का फैसला किया।

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नवभारत डिजिटल टीम: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कर्नाटक के बागी नेता केएस ईश्वरप्पा (KS Eshwarappa) पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने अपने बेटे को हावेरी से लोकसभा टिकट नहीं दिए जाने से नाराज होकर शिवमोगा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए नामांकन किया था। इसी वजह से बीजेपी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की है। ईश्वरप्पा को निर्वाचन आयोग से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में गन्ना किसान चुनाव चिन्ह मिला है।

बेटे को हावेरी से टिकट देने की मांग

जानकारी के लिए बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता ईश्वरप्पा ने राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया था और बेटे को हावेरी से टिकट देने की मांग की थी। लेकिन बीजेपी से उनके बेटे को टिकट नहीं मिलने के वजह से वह बागी हो गए और निर्दलीय चुनाव में उतरने का फैसला किया। उन्होंने बीजेपी नेता और पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी। ईश्वरप्पा लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में येदियुरप्पा के बेटे बीवाई राघवेंद्र के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ईश्वरप्पा को नामांकन वापस लेने के लिए कहा था, लेकिन वह नहीं माने।

6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित

भाजपा द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया कि ईश्वरप्पा ने पार्टी के प्रोटोकॉल के खिलाफ जाने और इस लोकसभा चुनाव को निर्दलीय के रूप में लड़ने का फैसला किया है। इससे पार्टी की फजीहत हुई है। इसके लिए पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित किया है।

इस वजह से बीजेपी से नाराज हैं ईश्वरप्पा

कर्नाटक के डिप्टी सीएम केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि उनकी लड़ाई पूर्व मुख्यमंत्री और लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा के परिवार के खिलाफ है। ईश्वरप्पा ने अपने बेटे केई कांतेश के लिए हावेरी सीट से टिकट देने की मांग की थी लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। ईश्वरप्पा ने इसके लिए येदियुरप्पा को दोषी ठहराया था।