नई दिल्ली. केंद्र सरकार (Central Government) ने राजीव गांधी हत्या मामले (Rajiv Gandhi assassination case) में छह दोषियों की समयपूर्व रिहाई के आदेश की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य दोषी एजी पेरारिवलन को भी इसी साल रिहा किया था। बता दें कि सभी दोषियों ने करीब 31 साल जेल में बिताए हैं।
केंद्र ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या करने वाले दोषियों को छूट देने का आदेश मामले में एक आवश्यक पक्षकार होने के बावजूद उसे सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिए बिना पारित किया गया।
Centre files review petition in the Supreme Court against the November 11 order allowing the release of all convicts in the Rajiv Gandhi assassination case. pic.twitter.com/stcCnGENnz
— ANI (@ANI) November 17, 2022
सरकार ने कथित प्रक्रियात्मक चूक को उजागर करते हुए कहा कि छूट की मांग करने वाले दोषियों ने औपचारिक रूप से केंद्र को एक पक्ष के रूप में शामिल नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप मामले में उसकी गैर-भागीदारी हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को नलिनी श्रीहरन सहित छह दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार द्वारा अपराधियों की सजा में छूट की सिफारिश के आधार पर यह आदेश दिया था।
कोर्ट के आदेश के बाद नलिनी के अलावा आर पी रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार जेल से बाहर आ गए। वहीं, संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत प्रदत्त शक्ति का इस्तेमाल करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसने 30 साल से अधिक जेल की सज़ा पूरी कर ली थी।
गौरतलब है कि राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों ने समय से पहले रिहाई की मांग की थी। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई का समर्थन किया था।
मालूम हो कि 21 मई 1991 की रात राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरुंबदूर में एक चुनावी सभा के दौरान हत्या कर दी गई थी। इसके लिए धानु नाम की एक महिला आत्मघाती हमलावर का इस्तेमाल किया गया था।