chandrayan
Pic: Social Media/Twitter

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नई दिल्ली. 23 अगस्त की टेंशन भरी शाम थी, पूरा देश ठहरा था, सबकी जैसे सांसें थमी हुईं थीं, पलकें उठ तो रहीं थीं और इसी के साथ समूचा विश्व जैसे भारत हाथ पकडे चांद की ओर टकटकी लगाए हुए था। फिर वही क्षण आया! समय 6 बजकर 4 मिनट, भारत का चंद्रयान (Chandrayan-3) चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर चूका था। इसके साथ ही चांद के सबसे मुश्किल इलाके में लैंड करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन कर विश्व पटल पर छा गया।

जी हां, बीते बुधवार को हमारे देश के वैज्ञानिकों ने वो कर दिया, जो दुनिया में अमेरिका, चीन जैसे तमाम बड़े बड़े देश कभी नहीं कर पाए।  हमारे देश के वैज्ञानिकों ने वो कर दिखाया जो करते हुए कुछ दिनों पहले रूस फेल हुआ।  भारत का चंद्रयान जैसे ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहुंचा, ये इतिहास रचने वाला विश्व का पहला देश भारत बन चूका था। 

इधर ISRO ने कहा कि, रोवर ‘प्रज्ञान’ लैंडर ‘विक्रम’ से बाहर निकल चूका है। जी हां, रोवर ‘प्रज्ञान’ लैंडर ‘विक्रम’ से बाहर निकल आया है और यह अब यह चंद्रमा की सतह पर घूमेगा। ऐसे में अब जब हम चांद पर पहुच चुके हैं तो एक सवाल सबके मन में उठ रहा है कि अब विक्रम और रोवर चंद्रमा पर क्या काम करेंगे? तो आइए जानते हैं। 

दरअसल ISRO के मुताबिक,

  • लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान बाहर निकलते ही अपने काम में लग जाएगा।  
  • रोवर प्रज्ञान 14 दिनों तक चांद के साउथ पोल पर रिसर्च करेगा।  
  • बता दें कि, चांद पर धरती के 14 दिन के बराबर एक ही दिन होता है।  
  • जिसके चलते साउथ पोल पर लैंड करने के बाद रोवर के पास काम खत्म करने के लिए केवल 14 दिनों का समय है। 
  • तब चांद पर धूप रहेगी और दोनों को सोलर एनर्जी मिलती रहेगी।  
  • 14 दिन बाद साउथ पोल पर फिर अंधेरा हो जाएगा।  
  • ऐसे में फिर लैंडर-रोवर दोनों ही काम करने बंद कर देंगे। 

विक्रम लैंडर पर 4 पेलोड्स क्या है इनका नाम 

  1. रंभा (RAMBHA)- चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। 
  2. चास्टे (ChaSTE)- यह चांद की सतह के तापमान की जांच करेगा।  
  3. इल्सा (ILSA)- यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा।  
  4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA)- यह चांद के डायनेमिक्स पर रिसर्च करेगा। 

जानकारी दें कि, चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग से जहां भारत अब स्पेस पावर के रूप में विश्वपटल पर उभरा है।  वहीं अब ISRO का दुनिया की अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के मुकाबले एक ऊँचे कद का हो गया है।  आज समस्त देशवासी ISRO के वैज्ञानिकों को बधाई दे रहे हैं और उनके काम की जमकर जबरदस्त सराहना कर रहे हैं।