Court will hold final hearing on petitions challenging on April 16
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जाति सर्वेक्षण कराने के बिहार सरकार (Bihar Government) के फैसले को बरकरार रखने के पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए सोमवार को 16 अप्रैल की तारीख तय की। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि इस मुद्दे पर दायर सभी हस्तक्षेप आवेदनों पर भी 16 अप्रैल को अंतिम सुनवाई होगी।
शीर्ष अदालत ने दो जनवरी को बिहार सरकार से जाति सर्वेक्षण का विवरण सार्वजनिक करने को कहा था ताकि असंतुष्ट लोग निष्कर्षों को चुनौती दे सकें। इसने जाति सर्वेक्षण को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने जाति सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार करने के पटना उच्च न्यायालय के एक अगस्त, 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर औपचारिक नोटिस जारी किया था।
गैर सरकारी संगठन ‘एक सोच एक प्रयास’ की याचिका के अलावा, कई अन्य याचिकाएं भी दायर की गई हैं। इनमें एक याचिका नालंदा निवासी अखिलेश कुमार की भी है, जिन्होंने तर्क दिया है कि इस कवायद के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने दो अक्टूबर 2023 को जाति सर्वेक्षण के निष्कर्ष जारी किए थे।
इससे असंतुष्ट लोगों ने ने दावा किया कि यह कदम 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। कुमार तब जद (यू)-राजद-कांग्रेस गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। वह पिछले महीने फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गए। आंकड़ों से पता चला कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की आबादी का 63 प्रतिशत हैं।
(एजेंसी)