आज की मुंबई तब बंबई के नाम से जानी जाती थी। उस वक्त मुंबई में कई गैंग सक्रिय थे, उस वक्त दाऊद का कोई अता पता नहीं था। उस समय के डॉन में हाजी मस्तान और वरदराजन मुदलियार और करीम लाला का नाम आता था। कहा जाता है कि अंडरवर्ल्ड के पहले डॉन कहे जाने वाले हाजी मस्तान मिर्जा से पहले पूरे मुंबई पर करीम लाला की पठान गैंग का कब्जा था। उस वक्त करीम लाला समुद्र के रास्ते से तस्करी का काम करता था। लेकिन इस बीच कई और डॉन उभरने लगे। जिसमें हाजी मस्तान और वरदराजन मुदलियार का नाम भी शामिल है। वक्त के साथ इनका रसूख बढ़ने लगा और साथ मुंबई में गैंगवार का सिलसिला तेजी से बढ़ गया। इस दरम्यान तीनों ने अपना अलग-अलग इलाका बांट लिया और निर्णय लिया कोई किसी के इलाके में सेंध नहीं लगाएगा।
इसी बीच दाऊद इब्राहिम कासकर और शब्बीर इब्राहिम कासकर ने हाजी मस्तान की गैंग को ज्वाइन कर लिया। फिर अंडरवर्ल्ड में इनके नाम की चर्चा होने लगी और इन दोनों भाइयों ने करीम लाला के इलाके में सेंध लगाना शुरू कर दिया। जिसके बाद करीम लाला दोनों भाइयों से काफी चिढ़ा हुआ था। इसी बीच एक दिन दाऊद इब्राहिम करीम लाला के की पकड़ में आ गया। पहले से ही खार खाए करीम लाला ने जैसे ही दाऊद को देखा उसपर टूट पड़ा और बीच सड़क पर उसने जमकर पिटाई कर दी। करीम लाल की पिटाई से दाऊद को काफी चोट लगी, लेकिन वो अपनी जान बचाकर भागने में कामयाब रहा।
शब्बीर इब्राहिम कासकर की हत्या के बाद खूनी जंग
80 के दशक में दाऊद और पठान गैंग आमने-सामने थे, इसी बीच पठान गैंग ने शब्बीर इब्राहिम कासकर की हत्या कर दी। भाई की हत्या के बाद से ही दाऊद बौखला गया और उसने पठान गैंग से जुड़े लोगों की हत्या करनी शुरू कर दी। वहीं बढ़ती उम्र के कारण करीम लाला बीमार रहने लगा और इस बीच दाऊद की डी कंपनी तेजी से ताकतवर बनती गई। साल 1986 में दाऊद के गुर्गों ने शब्बीर इब्राहिम कासकर की हत्या का बदला लिया, उन्होंने करीम लाला के भाई रहीम खान को गोलियों से भून डाला। इसके बाद दाऊद अंडरवर्ल्ड का डॉन बनकर उभरा और 1993 सीरियल बम ब्लास्ट के बाद मोस्ट वांटेड आतंकवादी बन गया। जो फिलहाल पाकिस्तान में जाकर बस गया। वहीं दाऊद की पिटाई करने वाले करीम लाला की मौत 90 साल की उम्र में 2002 को हो गई।