ED ने CM केजरीवाल की जमानत का किया विरोध, कहा- ‘चुनाव प्रचार करना मौलिक अधिकार नहीं…’

ईडी ने कहा कि राजनेता एक सामान्य नागरिक से अधिक किसी विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकते हैं और अपराध करने पर उन्हें भी किसी अन्य नागरिक की तरह ही गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है।

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने पर 10 मई को अपना फैसला सुनाने वाला है। इससे एक दिन पहले केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने इसका विरोध किया और कहा कि चुनाव प्रचार का अधिकार न तो मौलिक है और न ही संवैधानिक।

प्रवर्तन निदेशालय ने फैसले के एक दिन पहले यानी आज शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करते हुए केजरीवाल के अंतरिम जमानत एक विरोध किया है। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि चुनाव प्रचार का अधिकार न तो मौलिक है और न ही संवैधानिक है। ईडी ने कहा कि राजनेता एक सामान्य नागरिक से अधिक किसी विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकते हैं और अपराध करने पर उन्हें भी किसी अन्य नागरिक की तरह ही गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है।

10 मई को अंतरिम आदेश पर फैसला

इससे पहले, केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस संजीव खन्ना ने की बेंच ने कहा था कि हम शुक्रवार को अंतरिम आदेश (अंतरिम जमानत पर) सुनाएंगे। गिरफ्तारी को चुनौती देने से जुड़े मुख्य मामले पर भी उसी दिन फैसला किया जाएगा।’

क्या है मामला

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं। पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे। पीठ ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सात मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी थी। उच्च न्यायालय ने नौ अप्रैल को केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि बार-बार समन जारी करने और केजरीवाल के जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद ईडी के पास ‘बहुत ही मामूली विकल्प’ बचा था। यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है। यह नीति अब समाप्त कर दी गयी है।