Cash for Query Case Mahua Moitra TMC Ethics Committee

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नयी दिल्ली, तृणमूल कांग्रेस (TMC ) की सांसद महुआ मोइत्रा (Mahau Moitra) के खिलाफ ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के आरोपों को लेकर आचार समिति की रिपोर्ट के मामले में विपक्ष के भारी हंगामे के कारण शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोबारा शुरू होने के करीब 10 मिनट के अंदर दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई। एक बार के स्थगन के बाद कार्यवाही पुन: शुरू हुई तो कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने महुआ मोइत्रा से संबंधित रिपोर्ट के मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया।

इसी दौरान लोकसभा की आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने महुआ मोइत्रा के मामले में अपनी प्रथम रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्य जोरदार नारेबाजी कर रहे थे। इस पर पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने हंगामा कर रहे सदस्यों से बैठने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘आखिर हुआ क्या है। अभी रिपोर्ट केवल सदन के पटल पर प्रस्तुत हुई है। उस पर निर्णय सदन करेगा।” हंगामा नहीं थमने पर अग्रवाल ने कार्यवाही कुछ ही मिनट बाद दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी। इससे पहले विपक्ष के भारी हंगामे के कारण सदन में प्रश्नकाल भी नहीं हो सका और कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनट के भीतर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह संबंधित विषय पर सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका देंगे, लेकिन फिलहाल प्रश्नकाल चलनें दें। लेकिन सदस्यों ने हंगामा जारी रखा। कुछ विपक्षी सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया है कि महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने पर फैसला लिये जाने से पहले समिति की सिफारिशों पर सदन में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। भाजपा सांसद सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था।

समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं। समिति के चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार देते हुए कहा था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की जिस शिकायत पर समिति ने विचार किया, उसके समर्थन में ‘सबूत का एक टुकड़ा’ भी नहीं था। यदि सदन समिति की सिफारिश के पक्ष में मतदान करता है तो मोइत्रा को सदन से बर्खास्त किया जा सकता है। (एजेंसी)