nirmala sitaraman lok sabha election 2024
लोकसभा चुनाव 2024 (डिजाइन फोटो)

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नवभारत डेस्क : राजनीतिक दलों में पहले ऐसा देखा जाता था कि गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों को पार्टी की ओर से फंड जारी करके चुनाव लड़ने के लिए कहा जाता था, ताकि प्रत्याशी मजबूती के साथ विरोधी दल के उम्मीदवार को टक्कर दे सके। लेकिन भारतीय जनता पार्टी की वित्तमंत्री (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने अपने कमजोर माली हालत के चलते चुनाव लड़ने से मना कर दिया है और देश की सबसे ‘मालदार-पार्टी’ ने भी उनको आर्थिक मदद करने की कोई संभावना नहीं दिखाई है। अब इसको राजनीतिक गलियारों में चुनावी मुद्दा बनाया जा सकता है कि आखिर चंदे का पैसा केवल भौकाल और बड़े-बड़े नेताओं की रैलियों पर ही खर्चें होते हैं क्या..?

शायद अब राजनीतिक दलों ने अपना ट्रेंड बदल दिया है। तभी तो देश भर के व्यापारियों और आम जनता से करोड़ और अरबों रूपये का चंदा लेने वाले राजनीतिक दल अपने गरीब उम्मीदवारों और राजनेताओं को चुनाव लड़ने के लिए पैसा तक नहीं देते। शायद इसीलिए देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पैसे के अभाव में चुनाव लड़ने से मना कर दिया जाता है।

ये है वित्त मंत्री की मजबूरी

एक कार्यक्रम में जानकारी देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया। ऐसा माना जा रहा है कि वह पार्टी के द्वारा चुनाव लड़ने के लिए कोई आर्थिक सपोर्ट न किए जाने की वजह से ऐसा फैसला लिया है। उन्होंने इस बात की जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को देकर चुनाव न लड़ने की अपील की है। साथ ही कहा है कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए जरूरी फंड नहीं है। इसलिए उन्हें चुनाव लड़ने के लिए न कहा जाए।

निर्मला सीतारमण एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि एक हफ्ते या 10 दिन तक सोचने के बाद उन्होंने जवाब दिया। मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए उस तरह का पैसा नहीं है, जितना पैसा लोकसभा चुनाव में खर्चे के लिए चाहिए। चाहे वह आंध्र प्रदेश हो या तमिलनाडु चुनाव जीतने लायक अलग-अलग मानदंडों को भी शायद वह पूरा न कर पाएं। उन्होंने इसीलिए चुनाव लड़ने से मना कर दिया है।

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निर्मला सीतारमन

उनका मानना है कि चुनाव में कई तरह के मानदंड अपनाए जाते हैं, जिसमें पार्टी के उम्मीदवार का समुदाय, धर्म इत्यादि देखा जाता है। ऐसी स्थिति में वह ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं। निर्मला सीतारमण ने कहा कि वह पार्टी की बहुत आभारी हैं, क्योंकि पार्टी ने उनकी दलील स्वीकार कर ली है और इसलिए वह आगामी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ने जा रही हैं।

जब उनसे यह पूछा गया कि वित्त मंत्री के पास अगर चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त फंड नहीं है, तो बाकी लोगों का क्या होगा। तो निर्मला सीतारमण ने बड़ी सादगी के साथ जवाब दिया कि उनके पास उनका वेतन और बचत ही है। उनके पास कोई संचित निधि नहीं है।

ये मंत्री भी लड़ रहे चुनाव

भारतीय जनता पार्टी ने 19 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कई मौजूदा राज्यसभा सांसदों को भी लोकसभा के चुनावी रण में उतार दिया है। साथ ही साथ कुछ मंत्रियों को भी चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है, ताकि 400 से अधिक सीटों के लक्ष्य को पानी में किसी तरह की दुविधा न रह जाए। इसीलिए राज्यसभा के सांसद रहे पीयूष गोयल, भूपेंद्र यादव, राजीव चंद्रशेखर, मनसुख मांडविया और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे राजनेताओं को भी चुनाव में उतारा जा रहा है।

निर्मला सीतारमण फिलहाल कर्नाटक से राज्यसभा की सांसद हैं और उन्हें तमिलनाडु से चुनाव लड़ने के लिए कहा जा रहा था। लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगी, लेकिन अपने अन्य उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करेंगी। साथ ही साथ मीडिया के कार्यक्रमों में शरीक होकर पार्टी का पक्ष रखने की कोशिश करेंगी।

आपको बता दें कि निर्मला सीतारमण के पास बाकी कैबिनेट मंत्रियों के मुकाबले बहुत कम संपत्ति बताई जाती है। उन्होंने 4 साल पहले अपनी संपत्ति का ब्यौरा जारी किया था। उस समय उनके पास केवल एक करोड़ 34 लाख रुपए की संपत्ति थी।

आखिर कहां खर्च होता है चंदा

भारतीय निर्वाचन आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा जारी किया था तो उसके हिसाब से भाजपा को सबसे ज्यादा चुनावी चंदा मिला है। बीजेपी को 60 अरब से ज्यादा का चंदा मिलने जानकारी सामने आयी। इतना ही नहीं मीडिया रिपोर्ट में यह भी जानकारी मिली है कि 5 सालों में बीजेपी को कुल 12,930 करोड़ का चंदा मिला है। तो आखिर इन पैसों का आखिर क्या होता है, क्या ये पैसे आर्थिक रूप से कमजोर राजनेताओं के चुनावी खर्च के लिए नहीं दिए जाते हैं..अगर दिए जाते हैं तो निर्मला सीतारमण जैसी इमानदार छवि की राजनेता लोकसभा का चुनाव लड़ने से क्यों मना करने लगी हैं।