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यूपी का चर्चित हाथरस सामूहिक दुष्कर्म कांड

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हाथरस (उत्तर प्रदेश): हाथरस के जिस भूल गढ़ी गांव में करीब चार साल पहले एक दलित किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मौत की घटना ने पूरे देश को दहला दिया था, वह बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है और यहां रोजमर्रा के सन्नाटे में चुनाव की गूंज दूर तक सुनाई नहीं देती। साल 2020 में 19 वर्षीय युवती पर कथित तौर पर गांव के उच्च जाति के पुरुषों द्वारा क्रूरतापूर्वक हमला किया गया था और दो सप्ताह बाद दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई थी।

इस घटना ने गांव में ठाकुरों और अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों के बीच ध्रुवीकरण को बढ़ा दिया था। भूल गढ़ी तक ठीकठाक सड़क नहीं होने की वजह से लोगों को पैदल आना पड़ता है। इस छोटे से गांव में उच्च जाति (ठाकुरों) के करीब 90 परिवार और चार दलित परिवार रहते हैं। ये दलित परिवार अधिकतर गांव के ही उच्च जाति के लोगों के घरों में काम करते थे और आज भी कर रहे हैं। वे गांव के बाहर एक बस्ती में झोपड़ियों में रहते हैं। किशोरी से दुष्कर्म के आरोपी उच्च जाति के चार पुरुषों में से तीन के गांव में लौटने के बाद गांव में तनाव सा दिखता है। पीड़िता के परिवार के लोग ज्यादा कुछ नहीं बोलते और उनकी गतिविधियों पर सीसीटीवी से नजर रखी जाती है।

भूल गढ़ी के निवासियों के लिए चार साल पहले घटी घटना कभी नहीं भूलने वाली है लेकिन महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों ने उन्हें जल्द ही फिर से उसी रास्ते पर लौटा दिया जहां सिर्फ जिंदगी जीने की फिक्र है। हाथरस के इस चर्चित कांड में युवती की मौत के बाद पुलिस ने उसके परिवार की सहमति के बिना जल्दबाजी में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। इसके बाद लोगों की नाराजगी और बढ़ गई थी। लेकिन इस जघन्य घटना को लेकर हुए प्रदर्शन अब फीके पड़ गए हैं।

दलित बस्ती में नाले के पानी से घिरे अपने घर के बाहर खड़ी एक महिला ने कहा,‘‘हमें घर देने का वादा किया गया था लेकिन इसके लिए केवल एक किस्त मिली और साफ-सफाई का मुद्दा भी बहुत गंभीर है जैसा आप देख सकते हैं।” उसने पहचान जाहिर नहीं होने की शर्त पर कहा, ‘‘मेरा बेटा 30 साल का है लेकिन उसके पास नौकरी नहीं है। मैं चाहती हूं कि उसे और उसके परिवार को इस गंदगी से दूर एक घर मिल जाए।” ठाकुर परिवार जहां रहते हैं, वहां स्थिति बेहतर है लेकिन उसमें दलित बस्ती से मामूली अंतर ही है। इसी वर्ग से आने वाले उमा शंकर ने कहा,‘‘हमारे पास बेहतर सुविधाएं हैं लेकिन साफ-सफाई एक बड़ी समस्या है। सड़कें टूटी हुई हैं लेकिन ये सब सही किया जा सकता है।”

भूल गढ़ी गांव हाथरस संसदीय क्षेत्र में आता है जहां सात मई को मतदान होना है। चुनाव से पहले लोगों को इस बात की कम ही उम्मीद है कि हालात सुधरेंगे। इस क्षेत्र से उत्तर प्रदेश के राजस्व मंत्री अनूप बाल्मीकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के जसवीर बाल्मीकि से है। हाथरस के निवर्तमान भाजपा सांसद राजवीर दिलेर का पिछले दिनों दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। भाजपा हाथरस क्षेत्र में 1991 से ही जीतती आ रही है। इस बीच उसे केवल 2009 में हार का सामना करना पड़ा था।