‘हिंदी’ संवाद के साथ-साथ मौलिक सोच की भी भाषा, ऐसे बचेगी देश को जोड़ने वाली ‘हिंदी’

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नागपुर डेस्क: आज हिंदी दिवस है। हिंदी दिवस का आयोजन हमारे देश में एक खास महत्व रखता है, क्योंकि हिंदी ही देश को जोड़ने वाली इकलौती भाषा है। आज दिन उसकी इसी क्षमता व गुणवत्ता को याद करने का होता है। हिंदी को भारत की एकता और एकजुटता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए हिंदी विविधताओं से भरे भारत देश को एक साथ लाने में मदद करती है और भारत को एक संगठन के रूप में आगे बढ़ाने का काम करती है। हिंदी देश की एकजुटता की संजीवनी होने के साथ साथ जो देश के कोने-कोने को लोगों को एक दूसरे के साथ जोड़कर एक देश में समेटने का काम करती है। 

आज के दिन को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इसी दिन को साल 1949 में संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया था कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। देश के पहले ‘प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया था। हिंदी दिवस का आयोजन पहली बार 1953 में हुआ था, जब भारत सरकार ने हिंदी को देश की राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दे दी। इसी दिन महात्मा गांधी ने 1949 में दक्षिण भारतीय राजभाषा कमीशन को गठित कराया था, जिसका उद्देश्य था हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रमोट किया जाय। 

हिंदी भाषा के महत्व को समय-समय पर अलग-अलग लोगों ने अपने हिसाब से बताने और समझने की कोशिश की है। लेकिन 2017 में राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के कार्यालय के प्रमुखों के साथ आयोजित किए गए कार्यक्रम में उन्होंने हिंदी के महत्व को समझने और बताने की खास कोशिश की थी। इस दौरान उन्होंने लोगों से कहा था कि हिंदी सिर्फ अनुवाद की भाषा नहीं है, बल्कि एक मौलिक सोच विकसित करने की भाषा है और लोगों को इस मौलिकता के साथ अपनाना चाहिए।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था-

“हिन्दी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है। किसी भी भाषा की तरह हिन्दी भी मौलिक सोच की भाषा है।”

आज के समय में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए राजभाषा विभाग एक मोबाइल एप भी जारी किया है, जिसके जरिए लोग हिंदी सीखने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। गैर हिंदी भाषी लोगों के लिए ऑनलाइन हिंदी सीखने की सुविधा के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति ने प्रशंसा की थी और कहा था कि टेक्नोलॉजी के जरिए हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार की पहल करने के लिए राजभाषा विभाग को बधाई दी जानी चाहिए। आपको बता दें कि ‘लीला मोबाइल ऐप‘ के जरिये आप हिन्दी सीख सकते हैं। यह ऑनलाइन सुविधा राजभाषा विभाग की ओर से दी गयी है।

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का था कहना

इतना ही नहीं तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के उस कथन को उद्धृत करते हुए तर्क दिया-  ‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी’। इतना ही नहीं हिंदी को जन-आंदोलनों की भी भाषा के रूप में जाना जाता है। हिंदी के इस ऐतिहासिक महत्व को गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने बड़े सुंदर रूप में प्रस्तुत किया था। 

ये है जरूरत

हमें यह सोचने की जरूरत है कि हमारी सभ्यता में सिर्फ वही भाषा जीवित रह सकती है, जिसका उपयोग जनता के द्वारा किया जाता है। अगर हम अपनी भाषा पर ध्यान नहीं देंगे और उसका उपयोग दिन प्रतिदिन के कार्यों में नहीं करेंगे तो धीरे-धीरे यह विलुप्त होती जाएगी। हिंदी भाषा को लोगों के बीच संवाद का बेहतर माध्यम बनाने की जरूरत है। साथ ही साथ इसे केवल सरकारी अभियान और कागजों पर चलने के बजाय आम लोगों में प्रचलित करने की जरूरत है। तभी हमारे देश की एकता और विविधता बरकरार रहेगी और हिंदी भाषा का भी प्रचार प्रसार पूरी दुनिया में और बेहतर तरीके से होगा।