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    नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index 2022) में इस वर्ष भारत के 121 देशों में 107वें नंबर पर आने के बाद मंगलवार को कहा कि इसमें भूख के माप को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, सांख्यिकी मजबूती में कमी हैं और विभिन्न विषयों में कई समस्याएं हैं। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में भूख को मापता नहीं है।

    उन्होंने कहा कि रिपार्ट में अपनी आबादी खासतौर से कोविड-19 महामारी के दौरान खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए अथक प्रयासों को ‘‘जानबूझकर” नजरअंदाज किया गया है। सूत्रों ने कहा कि जिन चार संकेतकों में तीन का इस्तेमाल किया गया है वे बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े हैं तथा पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

    उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, अल्पपोषण, स्टंटिंग (नाटापन), वेस्टिंग (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन) और बाल मृत्यु दर के संकेतक अपने आप में भूख मापने के लिए पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि अकेले ये भूख को नहीं दर्शाते हैं। मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि भूख को मापने वाले सूचकांक में इस्तेमाल करने वाले कई उपाय संभवत: प्रासंगिक हैं।

    एक अधिकारी ने वैश्विक भूख सूचकांक को गलत बताया और उसमें गंभीर पद्धति संबंधी समस्याएं होने का दावा करते हुए कहा, ‘‘इसमें भूख के माप को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, सांख्यिकी मजबूती का अभाव है, कई समस्याएं हैं और पांच साल की उम्र तक के बच्चों का उच्च प्रतिनिधित्व दिया गया है।”

    मंत्रालय में सूत्रों ने बताया कि भारत के आकार वाले देश के लिए केवल 3,000 नमूने एकत्र किए गए और यह सांख्यिकी रूप से गलत है, इसमें वैधता का अभाव है, पक्षपातपूर्ण और अनैतिक है। उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही इसमें तय किए गए सवाल अनुचित तथा नकारात्मक थे।

    उदाहरण के लिए प्रतिवादियों से पूछा गया : पिछले 12 महीने के दौरान क्या ऐसा कोई वक्त आया जब पैसे या अन्य संसाधन की कमी से आपको चिंता हुई कि आपको खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिलेगा? आपने भूख के मुकाबले कम खाया?” गौरतलब है कि वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत 121 देशों में 107वें नंबर पर है जबकि बच्चों में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन) 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश से सबसे अधिक है। (एजेंसी)