नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के इनकार के बाद भारत ने गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर चीफ गेस्ट शामिल होने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को न्योता भेजा है। अगर मैक्रों भारत का न्योता स्वीकार करते हैं तो वे फ्रांस के छठे नेता होंगे जो भारत की रिपब्लिक डे परेड में शामिल होंगे और शोभा बढ़ांएगे।
पांच बार आमंत्रण
रिपब्लिक डे कार्यक्रम के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति को भारत 5 बार आमंत्रित कर चुका है। यह सिलसिला 1976 से शुरू हुआ। बता दें कि इसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फ्रांस की बैस्टिल डे परेड में बतौर चीफ गेस्ट शामिल हुए थे। वो इस परेड में शामिल होने वाले दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री थे। परेड में भारतीय राफेल ने उड़ान भरी थी। इसके अलावा भारत की तीनों सेनाओं के मार्चिंग दस्ते के 269 जवानों ने परेड में भी हिस्सा लिया था।
बाइडेन ने क्यों किया इनकार
एक कार्यक्रम के दौरान भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाइडेन को रिपब्लिक डे परेड के लिए बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित किया है। इसके बाद 12 दिसंबर को खबर आई थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन रिपब्लिक डे 2024 के लिए भारत नहीं आएंगे। 26 जनवरी के दौरान उनका शेड्यूल काफी बिजी है। इसके अलावा भारत में जनवरी में होने वाली क्वाड समिट भी टाल दी गई थी। ये बैठक 26 जनवरी के आस-पास होने वाली थी।
क्वाड के मेंबर देश ऑस्ट्रेलिया का नेशनल डे भी 26 जनवरी को होता है। इसके वजह से एंथनी अल्बनीज उस वक्त क्वाड की मीटिंग अटेंड नहीं कर सकते। इससे ये भी कयास लगाया गया कि जापान के प्रधानमंत्री फुमिया किशिदा के भी भारत आने की ज्यादा उम्मीद नहीं रही थी।
भारत के रिपब्लिक डे में शामिल होने वाले पांचो फ्रांसीसी
फ्रांसीसी नेता जैक्स शिराक भारत के गणतंत्र दिवस पर बतौर चीफ गेस्ट दो बार शामिल हुए थे।पहली बार 1976 और 1998 में दूसरी बार शामिल हुए थे। साथ ही जैक्स शिराक भारत के गणतंत्र दिवस पर बतौर चीफ गेस्ट शामिल होने वाले पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति थे। इसके बाद वैलरी गिस्कॉर्ड 1980 में आए। 2008 में निकोलस सरकोजी और 2016 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रेंकोइस हॉलैंड शामिल हुए थे।
भारत-फ्रांस के रिश्तों पर एक नजर
एक नेशनल मीडिया को देश के प्रतिष्ठत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने बताया कि भारत को लेकर फ्रांस का स्टैंड दूसरे पश्चिमी देशों से अलग है। कई बार अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी को भारत में मानवाधिकार और लोकतंत्र को लेकर सवाल खड़े करता है। फ्रांस इनकी तुलना में भारत के आंतरिक मामलों में काफी कम दखलंदाजी करता है। यही इसकी एक मुख्य वजह रही कि कि भारत का फ्रांस के बीच कभी बड़ा मनमुटाव नहीं रहा है।
इसके अलावा जुलाई 1998 में भारत ने परमाणु ताकत बनने की ठानी और न्यूक्लियर टेस्ट किए तो सभी पश्चिमी देशों ने इस पर आपत्ति जताई। अमेरिका ने तो भारत पर कई तरह की पाबंदियां भी लगाई थीं। तब फ्रांस के राष्ट्रपति जैक शिराक ने भारत का खुले मंच पर समर्थन किया था।
यही नहीं फ्रांस ने भारत को न्यूक्लियर प्लांट सेटअप करने में मदद भी की। रूस के बाद फ्रांस इकलौता ऐसा देश है जिसने भारत की न्यूक्लियर क्षमता को बढ़ाने में मदद की। इस प्लांट को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत अभी जारी हैं। महाराष्ट्र के जैतपुर में लगा परमाणु प्लांट फ्रांस की मदद से ही बन पाया। वहीं भारत ने फ्रांस से राफेल विमान खरीदे हैं। फ्रांस भी भारत से डिफेंस में साझेदारी बढ़ाना चाहता है।