The resolution of the deadline set by some of the world's top polluting countries raised hopes about the Paris Agreement

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    नयी दिल्ली: भारत को वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए कुल 10.1 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत होगी, लेकिन इसमें करीब 3.5 लाख करोड़ डॉलर की कमी रह सकती है। सीईईडब्ल्यू के सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस (सीईएफ) के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।   

    सीईएफ ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा कि इस निवेश का इस्तेमाल भारत के ऊर्जा, औद्योगिक एवं परिवहन क्षेत्रों को कार्बन-मुक्त करने में किया जाएगा। हालांकि, सीईएफ का मानना है कि भारत को इसके लिए जरूरी 10.1 लाख करोड़ डॉलर में से करीब 3.5 लाख करोड़ डॉलर की कमी का सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा उसे इसकी भरपाई के लिए विकसित देशों से रियायती वित्त के तौर पर 1.4 लाख करोड़ डॉलर के निवेश समर्थन की जरूरत पड़ेगी। 

    इस अध्ययन रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी राशि का बड़ा हिस्सा भारत के ऊर्जा क्षेत्र पर खर्च करना होगा। उसने इस मद में करीब 8.4 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत बताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में संपन्न जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में यह घोषणा की थी कि भारत वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना चाहता है।(एजेंसी)